विचार / लेख
-आर.के.जैन
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की नई रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट डराने वाली है। कैग के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 10 सालों में सभी 28 राज्यों का कुल कर्ज बहुत बढ़ गया है। 2013-14 में यह कर्ज 17.57 लाख करोड़ रुपये था। 2022-23 में यह बढक़र 59.60 लाख करोड़ रुपये हो गया।
कैग के के. संजय मूर्ति ने यह रिपोर्ट स्टेट फाइनेंस सेक्रेटरीज कॉन्फ्रेंस में जारी की। रिपोर्ट में राज्यों की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण किया गया है। इसके अनुसार, 2022-23 के अंत तक 28 राज्यों पर कुल 59,60,428 करोड़ रुपये का कर्ज था। यह कर्ज उनके कुल सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 22.96 फीसदी है।
सबसे ज्यादा कर्ज पंजाब पर है। वहीं, ओडिशा पर सबसे कम कर्ज है। 11 राज्यों ने अपने खर्चों को पूरा करने के लिए उधार लिए गए पैसे का इस्तेमाल किया।
द इंडियन एक्सप्रेस ने कैग की इस रिपोर्ट का विश्लेषण किया है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 के अंत तक सभी 28 राज्यों पर कुल 59,60,428 करोड़ रुपये का कर्ज था। यह कर्ज उनके कुल जीएसडीपी का 22.96 फीसदी है।
जीएसडीपी का मतलब है कि एक राज्य के अंदर एक साल में जितनी भी चीजें और सेवाएं बनाई जाती हैं, उनकी कुल कीमत कितनी है। 2013-14 में राज्यों का कुल कर्ज 17,57,642 करोड़ रुपये था। यह जीएसडीपी का 16.66 फीसदी था। रिपोर्ट बताती है कि 2022-23 में यह कर्ज 3.39 गुना बढ़ गया। यह जीएसडीपी का 22.96 फीसदी हो गया।
सबसे ज्यादा कर्ज वाले राज्य-
पंजाब 40.35%
नागालैंड 37.15%
पश्चिम बंगाल 33.70%
रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2023 तक आठ राज्यों पर उनके जीएसडीपी का 30 फीसदी से ज्यादा कर्ज था। छह राज्यों पर उनके जीएसडीपी का 20 फीसदी से कम कर्ज था। बाकी 14 राज्यों पर उनके जीएसडीपी का 20 से 30 फीसदी के बीच कर्ज था।
राज्यों का कुल कर्ज 2022-23 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 22.17 फीसदी था। उस समय देश की जीडीपी 2,68,90,473 करोड़ रुपये थी।
सबसे कम कर्ज वाले राज्य -
ओडिशा 8.45%
महाराष्ट्र 14.64%
गुजरात 16.37%
राज्यों के कर्ज में कई चीजें शामिल हैं। मसलन, बाजार से लिए गए लोन, ट्रेजरी बिल, बॉन्ड, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और दूसरे बैंकों से लिए गए लोन। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से लिए गए लोन और एलआईसी और नाबार्ड जैसी वित्तीय संस्थाओं से लिए गए लोन भी शामिल हैं।
राज्यों का कुल कर्ज उनकी कमाई का 128 फीसदी (2014-15) से लेकर 191 फीसदी (2020-21) तक रहा है। इसी अवधि में यह कर्ज उनकी गैर-कर्ज आय का 127 फीसदी से 190 फीसदी तक रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों का कर्ज औसतन उनकी कमाई या गैर-कर्ज आय का लगभग 150 फीसदी रहा है। इसी तरह, कर्ज जीएसडीपी का 17 से 25 फीसदी रहा है। यह औसतन 20 फीसदी है। 2019-20 में यह जीएसडीपी का 21 फीसदी था, जो 2020-21 में बढक़र 25 फीसदी हो गया।
यह 4 फीसदी की बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि 2020-21 में कोरोना के कारण जीएसडीपी कम हो गया था। 2020-21 से 2022-23 के दौरान केंद्र सरकार से मिलने वाले लोन इसलिए बढ़े क्योंकि जीएसटी मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को लोन दिए गए थे। साथ ही, राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए विशेष सहायता के तौर पर लोन दिया गया था।


