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5 एकड़ बंजर जमीन में लगाए सैकड़ों फलदार पेड़, 38 बरस तक की देखभाल
21-Apr-2025 10:26 PM
 5 एकड़ बंजर जमीन में लगाए सैकड़ों फलदार पेड़, 38 बरस तक की देखभाल

सरकारी संरक्षण में लेकर पर्यावरण पर्यटन के रूप में विकसित करने पीएम को लिखा पत्र

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिश्रामपुर, 21 अप्रैल। पर्यावरण प्रेमी एवं सेवानिवृत कॉलरी कर्मचारी ने 5 एकड़ बंजर जमीन में सैकड़ों फलदार पेड़ लगाकर 38 बरस तक देखभाल की। अब सरकारी संरक्षण में लेकर पर्यावरण पर्यटन के रूप में विकसित करने पीएम को पत्र लिखा है।

ज्ञात हो कि अड़तीस वर्षों से निरंतर अपनी गाढ़ी कमाई से लाखों रुपए खर्च कर बंजर भूमि में पर्यावरण प्रेमी एवं सेवानिवृत कॉलरी कर्मचारी  62 वर्षीय बुजुर्ग पं. राजेंद्र दुबे उर्फ गुदिल महाराज सैकड़ों फलदार छायादार  वृक्ष लगाए और उसे संरक्षण किया जो आज एक विशाल उपवन के रूप में विकसित हुआ है जो लोगों को आकर्षित कर रहा है । राजेंद्र दुबे की इस निस्वार्थ भाव को जहां लोगों द्वारा प्रशंसा की जाती रही है, परंतु सेवानिवृत होने के बाद  इन वृक्षों का संवर्धन एवं संरक्षण के लिए काफी हुए चिंतित नजर आ रहे हैं।

पर्यावरण प्रेमी राजेंद्र दुबे बताते हंै कि पौधों को सुरक्षा एवं क्षेत्र को विकास के लिए जिले के कई जिलाधीशों सहित पर्यावरण मंत्री, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एक ट्रस्ट बनाकर विकसित करने के लिए कई बार पत्र लिखा, परंतु इस और किसी ने ध्यान नहीं दिया। थक हार कर प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी को  इसे सरकारी संरक्षण में ले कर पर्यावरण पर्यटन के रूप में विकसित करने हेतु पत्र लिखा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में पं. राजेंद्र दुबे ने उल्लेख किया है कि सूरजपुर विकासखंड के ग्राम करमपुर में मेहनत से हनुमान जी का पंचमुखी मुखी हनुमान मंदिर का निर्माण किया, साथ ही 5 एकड़ बंजर भूमि में विभिन्न प्रजातियों की वृक्षों का निस्वार्थ भाव से रोपित कर उसे संरक्षण संवर्धन किया। अब ये पौधे वृक्ष का रूप धारण कर लिए हैं जो  अब पिछले कई वर्षों से फल देना प्रारंभ कर दिए हैं।

 रिटायर के बाद इसे संरक्षित कर पाना मेरे वश  के बाहर होता जा रहा है अत: इस पूरे वृक्षों को अपने संरक्षण में ले कर पर्यटन स्थल, ऑक्सीजन पार्क एवं धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो लोगों के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा।

पं. राजेंद्र दुबे ने उल्लेख किया है कि  2015 को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को जनदर्शन में टोकन क्रमांक 5001520 702 के माध्यम से इस स्थल को पर्यावरण के रूप में विकसित करने हेतु पत्र लिखा था। पूर्व एसईसीएल विश्रामपुर के महाप्रबंधक सहित सीएमडी बिलासपुर, पर्यावरण मंत्री एवं कलेक्टर, तत्कालीन संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को भी पत्र लिखा था ।

2015 को मुख्यमंत्री रमन सिंह को दिए गए पत्र पर तात्कालिक कलेक्टर ने कहा कि आप ट्रस्ट बनाकर इसका पंजीयन कर लें, तब आपकी मांगी गई सुविधाओं को पूरा किया जाएगा, परंतु हमारा निवेदन है कि इसे संरक्षित एवं संवर्धन के लिए  कलेक्टर सूरजपुर की अध्यक्षता में ट्रस्ट बनाकर इसे विकसित किया जाए ताकि क्षेत्रीय लोगों को रोजगार प्राप्त हो सके।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर भी अभी तक निवेदक राजेंद्र कुमार दुबे को कोई जवाब न मिलने से वृक्षों की संरक्षण एवं संवर्धन के लिए  काफी चिंतित नजर आ रहे हैं।

ज्ञात हो कि करमपुर ग्राम पंचायत जो  कुम्मदा  कॉलोनी से लगा हुआ है, यहाँ 5 एकड़ बंजर भूमि में पं. राजेंद्र दुबे अपनी सर्विस काल में मिलने वाला वेतन की आधी कमाई से विभिन्न फलदार  पौधे का  रोपण किया था जिसमें 110 पौधा विभिन्न प्रजाति के आम, 50 पौधा करौंदा, 60 पौधा अमरूद, 10 पौधा जामुन , 15 पौधा कटहल, 40 पौधा सागवान ,30 पौधा खंभवार, पांच पौधा नारियल ,10 पौधा नारियल,10पौधा कदम ,5 पौधा काजू ,10 पौधा नीम,20 पौधा नीलगिरी ,चीकू ,नींबू एवं अन्य सैकड़ों की संख्या में वानिकी पौधे लगाकर इसे सिंचित किया  जो अब पूरा उपवन के रूप में विकसित हो चुका है। पौधे फलों से लद गए हैं परंतु इसे भरण पोषण संरक्षण करने वाला राजेंद्र दुबे अब रिटायर होकर अंबिकापुर अपने मूल निवास चले गए हैं।

बगीचा के बीच में पंचमुखी हनुमान मंदिर का भी किया है निर्माण

सेवानिवृत पं. राजेंद्र दुबे केवल पौधारोपण कर विशाल वृक्ष ही तैयार नहीं किया है अपितु इस स्थल को धार्मिक स्थल देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। वृक्षों के बीच में विशाल पंचमुखी हनुमान मंदिर का निर्माण किया है जहां सैकड़ों लोग भक्ति भाव से पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर की खूबसूरती अपने आप में बेजोड़ है।

जीवन की गाड़ी कमाई से निर्मित पंचमुखी हनुमान मंदिर एवं सैकड़ों वृक्षों का संरक्षण एवं विकास के लिए पंडित राजेंद्र दुबे का एक ही इच्छा है कि इस स्थल को सूरजपुर कलेक्टर अध्यक्षता एवं देखरेख में एक ट्रस्ट बना कर जनहित एवं समाज हित में इस स्थल का पूर्ण रूपेण विकास किया जाए, ताकि यह स्थल छत्तीसगढ़ के मानचित्र में दर्शनीय एवं पर्यावरण प्रेरणा स्थल के रूप में अपनी पहचान बना सके । राजेंद्र दुबे कहते हैं कि ट्रस्ट में पर्यावरण प्रेमी एवं स्थानीय लोग की प्राथमिकता दी जाए, ताकि इसका सही सुरक्षा एवं विकास हो सके।


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