सरगुजा

कार्रवाई की मांग को लेकर एसपी को सौंपा ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 8 अप्रैल। हितबद्ध पक्ष का नहीं होने के बावजूद कांग्रेसी पार्षद एवं अन्य लोगों के द्वारा वन विभाग के डीएफओ कार्यालय में प्रदर्शन करने और अनावश्यक दबाव बनाये जाने को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पार्षद आलोक दुबे,कैलाश मिश्रा, मुकेश तिवारी,बृजेश सिंह, मुन्ना झरिया,सुरेंद्र टोप्पो,जोसेफ तिर्की ने मंगलवार को पुलिस अधीक्षक सरगुजा को ज्ञापन सौंप कार्रवाई की मांग की है।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि लोगों की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर सरगुजा ने वनमण्डलाधिकारी सरगुजा को निर्देशित कर 5 सदस्यीय वन विभाग की जांच समिति बनायी थी। जिसमें अपना प्रतिवेदन वनमण्डलाधिकारी सरगुजा को दिनांक 20 दिसंबर 2021 को दिया था। इस जांच प्रतिवेदन में जो 42 मकान टूटे हैं उसके पृष्ठ क्र. 03 में तत्कालीन वनमण्डलाधिकारी सरगुजा मोहम्मद शाहिद के द्वारा इन 60 लागों के विरुद्ध अंतिम बेदखली आदेश दिनांक 15 मई 2017 को जारी किया जा चुका है। जिसका क्रियान्वयन जनवरी 2025 तक नहीं हो पाया था।
इसी तरह वन विभाग के जांच प्रतिवेदन के पृष्ठ क्र. 04 में कांग्रेस के लोग राजनैतिक जवाब डालकर वन संरक्षित क्षेत्र में 8 लोगों को राजीव गांधी आश्रय योजना में पट्टा दिलाया है। जिसमें जांच कमेटी ने अपने अभिमत में यह स्पष्ट लिखा है कि संरिक्षत वन क्षेत्र में 8 लोगों को राजीव गांधी आश्रय योजना का पट्टा दिलाना आश्चर्य का विषय है और यह निरस्त करने के योग्य है।
इसके बाद कांग्रेस के पार्षद जो श्रीगढ़, नवागढ़ क्षेत्र से है वन मण्डलाधिकारी सरगुजा पर अनावश्यक दबाव डालकर उच्च न्यायालय बिलासपुर का हवाला देकर मामले को भटका रहे हैं। जबकि इस समय तत्कालीन जिलाधीश संजीव कुमार झा ने वन विभाग के साथ-साथ संयुक्त कलेक्टर तनूजा सलाम के नेतृत्व में राजस्व की एक टीम बनाकर राजस्व जमीन की जांच करायी थी और इसमें यह स्पष्ट हो गया था कि जमीन वन विभाग की है या राजस्व विभाग की है।
वन विभाग एवं जिला प्रशासन की टीम द्वारा पूर्व में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही स्वागत योग्य एवं निष्पक्ष है। ऐसे में जो हितबद्ध पक्षकार नहीं हैं उनके द्वारा वनमण्डलाधिकारी सरगुजा कार्यालय के सामने प्रदर्शन करना असंवैधानिक एवं नियमविरुद्ध है। ऐसे में इनपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।