सरगुजा

वन, पुलिस और हाथी मित्र की 6 टीम कर रही निगरानी, ड्रोन से नजर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,2 जनवरी। सरगुजा जिला के अंबिकापुर नगर की सीमा क्षेत्र में पिछले चार दिनों से विचरण रहे 27 जंगली हाथियों का दल मंगलवार की सुबह लालमाटी नेशनल हाइवे 43, अंबिकापुर-रायगढ़ मुख्य मार्ग पर आ गया। हाथियों के एनएच में आ जाने अफरा तफरी का माहौल निर्मित हो गया।
लगभग 15 मिनट के लिए सडक़ पर आवागमन रोकना पड़ा। अभी हाथियों का यह दल नेशनल हाइवे से लगे क्षेत्र में डटा हुआ है। वनविभाग एवं पुलिस टीम हाथियों को शहर की ओर आने से रोकने मशक्कत में जुटी हुई है।
दो दिनों से 27 हाथियों का दल अंबिकापुर के आसपास विचरण कर रहा था। लालमाटी में लोगों का हुजूम हाथियों को देखने पहुंच गया। हाथी निचले खेतों से चढक़र नेशनल हाइवे 43, अंबिकापुर-रायगढ़ मुख्य मार्ग में आ गए, इससे एनएच में अफरा-तफरी मच गई। हाथी अब भी नेशनल हाइवे को पार कर चेंद्रा जंगल की ओर घुस गए हैं। पांच दिनों से हाथियों का यह दल अंबिकापुर के आसपास गंजाडांड, बधियाचुआं व लालमाटी के इलाके में विचरण कर रहा है। हाथियों का यह दल सोमवार को बधियाचुआं इलाके में डटा हुआ था। हाथियों की निगरानी वन अमले द्वारा दिन के साथ रात में भी की जा रही है।
वन विभाग द्वारा 6 टीम गठित की गई है। जिसमें वन विभाग, पुलिस बल और हाथी मित्र शामिल हैं। वन विभाग द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है, साथ ही सघन निगरानी के लिए ड्रोन के जरिए भी नजर रखी जा रही है। वर्तमान में मार्ग बाधित होने के कारण हाथियों का दल गंजाडांड, लालमाटी, बांसाझाल और सुमेरपुर वन क्षेत्र में विचरण कर रहा है।
किसी भी तरह की हानि से सुरक्षा हेतु प्रशासन द्वारा आवश्यक सावधानी भी बरती जा रही है। एसडीएम लुण्ड्रा ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में स्कूल की छुट्टी कर दी गई है। पीवीटीजी सर्वे को भी रोकने निर्देशित किया गया है। लोगों को सतर्क करते हुए जंगल की ओर ना जाने की अपील की गई है।
वन विभाग द्वारा आम जन से अपील की गई है कि हाथियों के दल का मार्ग बाधित न करें। हाथियों के दल को देखने उनके पास ना जाएं, वीडियो बनाने के लिए नजदीक न जाएं। शोर मचाकर और पटाखे फोडक़र उन्हें आक्रोशित न करें। वे अपने पारंपरिक मार्ग से आवागमन करते हुए वापस बलरामपुर रेंज की ओर निकलेंगे।
अंबिकापुर डीएफओ तेजस शेखर द्वारा स्वयं थर्मल ड्रोन से निगरानी कर रहे हैं। शहर से लगा बधियाचुआं, बांकी डैम, लालमाटी, रनघाघ, चेन्द्रा, बांसा के बीच लंबा-चौड़ा वन क्षेत्र है। जंगल में पानी की भी व्यवस्था है। जंगली हाथियों को ऐसा ही क्षेत्र पसंद आता है, इसलिए हाथी इसी क्षेत्र में कई दिन रूक सकते हैं। इसे लेकर वन अमला सक्रिय है।