इतिहास

इतिहास में 9 जून
09-Jun-2019
इतिहास में 9 जून

भारत के पिकासो के नाम से मशहूर कलाकार मकबूल फिदा हुसैन का आज ही के दिन लंदन में निधन हुआ था. भारत में कानूनी मुकदमों और जान से मार देने की धमकियों के चलते वह अपने आखिरी दिनों में स्व निर्वासन में विदेश में रह रहे थे.
एमएफ हुसैन के नाम से मशहूर हुए मकबूल फिदा हुसैन भारत के सबसे जानेमाने चित्रकारों में से एक थे. उनका जन्म 17 सितंबर 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर में हुआ. हुसैन जब डेढ़ साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया. उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनका परिवार इंदौर चला गया. हुसैन की स्कूली शिक्षा वहीं हुई. 1935 में हुसैन मुंबई चले गए और वहां जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से अपने पेंटिंग के हुनर को निखारा. 1941 में उनकी शादी हुई. मुंबई में शुरू में आर्थिक तंगी के चलते उन्हें काफी बुरे दिन देखने पड़े. काफी समय तक उन्हें फिल्मों के पोस्टर पेंट करके गुजारा करना पड़ा.
कभी जूते न पहनने वाले हुसैन ने आखिरी वक्त तक खुद को सीखते रहने वाला कलाकार रहने दिया. कभी फिल्मों के पोस्टर बनाने वाले एमएफ हुसैन ने कब ब्रश थाम लिया, खुद उन्हें भी याद नहीं. जिस साल भारत आजाद हुआ, उस साल हुसैन के करियर को भी नई दिशा मिल गई जब वह मुंबई के प्रतिष्ठित प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप में शामिल हो गए. तब 32 साल की उम्र में हुसैन भारत के सबसे बड़े चित्रकारों में गिने जाने लगे.
कैनवस ने हुसैन को नई पहचान भले ही दी हो लेकिन उनकी जिंदगी फिल्मों के साथ शुरू हुई थी. इसलिए उनके मन में फिल्मों को लेकर अलग जगह बनी रही और 1960 के दशक में वह फिल्मों की ओर बढ़े. 1967 में बनाई पहली फिल्म ‘थ्रू द आइज ऑफ ए पेंटर' को अंतरराष्ट्रीय पर्दे पर ख्याति मिली. इस फिल्म को बर्लिन फिल्म महोत्सव में गोल्डन बीयर पुरस्कार मिला. 1971 में पाब्लो पिकासो के साथ साओ पाओलो बीएनाले में हुसैन खास अतिथि बने.
इस नाम और लोकप्रियता से परे एमएफ हुसैन के चित्र विवादों में ही ज्यादा रहे. खासकर हिन्दू देवियों के चित्रों पर हिन्दू कट्टरपंथियों की कुपित नजर बनी रही. उन पर आठ आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया.
90 की उम्र में हुसैन के लिए यह इतना बड़ा सिरदर्द हो गया कि उन्हें भारत छोड़ना पड़ा. भारतीय अदालतों में चलते मुकदमे और कुछ लोगों का विरोध हुसैन को तोड़ गया. उनकी कला भी प्रभावित हो गई और उन्हें कतर में शरण लेनी पड़ी. बाद में कतर ने उन्हें नागरिकता भी दे दी. हालांकि आखिर के कुछ साल हुसैन ज्यादातर ब्रिटेन में ही रहे. उन्होंने पूरी जिंदगी 60,000 से ज्यादा पेंटिंग्स बनाईं.
हुसैन को 1955 में पद्मश्री, 1973 में पद्मभूषण और 1991 में पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा गया. 9 जून 2011 को लंबी बीमारी के बाद हुसैन का लंदन में 95 साल की उम्र में निधन हो गया.

  • 1822 -चाल्र्स ग्राहम ने नकली दांतों के लिए पेटेन्ट प्राप्त किया।
  • 1905-आइंस्टाइन ने प्लैंक के क्वान्टम सिद्धान्त का विश्लेषण किया।
  • 1964 - लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
  • 1999 - कुली ओडैजो (द. अफ्रीका) माउंट एवरेस्ट पर दक्षिण तथा उत्तर दोनों छोर से चढ़ाई करने वाली विश्व की प्रथम महिला बनीं, युगोस्लाविया एवं नाटो के बीच कोसोवो में सर्बियाई सैनिक वापस बुलाने पर सहमति।
  • 2001 - ईरान में मोहम्मद ख़ातमी की पुन: जीत, बेनजीर भुट्टो को तीन साल की सज़ा।
  • 2006 - म्यूनिख में विश्व कप फ़ुटबाल की रंगारंग शुरुआत।
  • 2008 - केन्द्रशासित क्षेत्र प्रशासन ने चंडीगढ़ को तम्बाकू मुक्त घोषित किया। अमेरिका की एक ऊर्जा कम्पनी ने पवन ऊर्जा के टरबाइन निर्मित करने वाली कम्पनी सुजलान एनर्जी लिमिटेड के 160 मेगावाट्स खऱीदने का आर्डर रद्द कर दिया। फि़ल्म अभिनेता शाहरुख ख़ान ने नौवें इंटरनेशनल इण्डियन फि़ल्म एकेडमी (आईफ़ा) पुरस्कार समारोह में फि़ल्म  चक दे इण्डिया के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता। 
  • 1949 -  भारत की प्रथम महिला आइपीए किरण बेदी का जन्म हुआ। 
  • 1981 - संगीतकार अनुष्का शंकर का जन्म हुआ। 
  • 1900 - आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का निधन हुआ। 
  • 1991 - फिल्म निर्देशक राज खोसला का निधन हुआ। 
  • 1993 - निर्देशक सत्येन बोस का निधन हुआ। 
  • 2011 - जाने-माने चित्रकार मक़बूल फि़दा हुसैन का निधन हुआ। 
  • 1781- अंग्रेज़ इंजीनियर और रेल के इंजन के प्रधान आविष्कारक जॉर्ज स्टीफेन्सन का जन्म हुआ। (निधन-12 अगस्त 1848)
  • 1768-अंग्रेज़ अमेरिकी मैकेनिकल इंजीनियर  सैमुअल स्लेटर का जन्म हुआ, जिन्होंने अमेरिका में सूती कपड़ों के कारखाने की नींव रखी। उन्होंने रोड आइलैंड में कपास मिल की नींव रखी।  (निधन-21 अप्रैल 1835)
  • 1996  अमेरिकी कोशिका विज्ञानी  डैनियल मैजिय़ा का निधन हुआ, जिन्होंने नाभिकीय तथा कोशिका प्रजनन पर अनुसंधान किया। वे खासकर कोशिका विभाजन के लिए उत्तरदायी संरचनाओं के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। (जन्म-18 दिसम्बर 1912)
  • 1961- फ्रांसीसी जीवाणु विज्ञानी  कैमिली ग्वैरिन  का निधन हुआ, जिन्होंने जानलेवा क्षयरोग (ट्यूबरकुलोसिस) के टीके बी.सी. जी. का आविष्कार किया। इस टीके को मायकोबैक्टीरियम बोविस से प्राप्त किया। (जन्म-22 दिसम्बर 1872)

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