राजनांदगांव

कर्मियों के वेतन के लिए हर माह
2.80 करोड़ देने में निकल रहा दम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनंादगांव 2 जुलाई । राजनांदगांव नगर निगम की माली हालत दिन-ब-दिन पतली हो रही है। निगम की स्थापना व्यय 100 प्रतिशत पार हो गई है। जबकि सरकार के निर्देश में अधिकतम 65 फीसदी स्थापना व्यय का प्रावधान है।
नगर निगम के कर्मचारियों को वेतन देने में ही निगम प्रशासन को करोड़ों रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है। कर्मियों के तनख्वाह के लिए कई तरह के बंदोबस्त करना पड़ रहा है। निगम प्रशासन के पास आय की एक सीमित व्यवस्था है। राजस्व वसूली के मामले में भी नगर निगम का प्रदर्शन काफी फीका है। बताया जा रहा है कि नगर निगम को 200 से ज्यादा कर्मचारियों के लिए 2 करोड़ 80 लाख रुपए प्रतिमाह भुगतान करना पड़ रहा है। उक्त रकम को जुटाने में निगम को सरकार की ओर भी नजरें गड़ानी पड़ रही है। चुंगीकर राशि से भी नगर निगम के कर्मियों को मासिक वेतन देना पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि साल 2013-14 में हुए थोक के भाव में हुई नियुक्ति के कारण नगर निगम की आर्थिक स्थिति डावा-डोल हो गई है।
2013-14 में शीर्ष पदों से लेकर भृत्य के लिए कुल 70 से ज्यादा नियमित कर्मचारियों की भर्ती हुई थी। यहीं से नगर निगम की स्थिति आर्थिक रूप से बिगड़ती चली गई है। इसके अलावा नगर निगम को अफसरों और अन्य कार्यों के लिए कार तथा पेट्रोल-डीजल के लिए भी मोटी रकम का भुगतान करना पड़ रहा है।
एक जानकारी के मुताबिक नगर निगम की स्थापना व्यय के लिए सालाना 40 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। नगर निगम के पास राजस्व वसूली आय का एक बड़ा जरिया है। शहर के बाशिंदों से टैक्स वसूली में निगम प्रशासन की ढि़लाई रही है।
जिसका असर निगम के कोष पर पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि राजस्व वसूली के लिए 36-40 करोड़ रुपए का लक्ष्य तय है। ले-देकर सालभर में कई तरह के जतन करने के बाद निगम 20 करोड़ की राजस्व की वसूली कर पाता है। यानी तय लक्ष्य से 50 फीसदी वसूली करने में निगम को कामयाबी मिली है।
हालांकि तीज-त्यौहारों के मौकों में राज्य सरकार से मिलने वाली चुंगीकर राशि से निगम का भार हल्का जरूर होता है, लेकिन निगम के कर्मचारी अपने ढ़ीले कार्यशैली से वसूली करने में फिसड्डी साबित हुए हैं। नगर निगम का भार लगातार आर्थिक रूप से बढ़ता ही जा रहा है। स्थापना व्यय के 100 प्रतिशत पार होने से अधिकारियों की चिंता बढ़ती चली जा रही है। बहरहाल निगम को कई तरह के आर्थिक संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है।