रायपुर
सवा सौ बच्चे छुड़ाए गए थे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 नवंबर। खरोरा स्थित मशरूम फैक्ट्री में बाल मजदूरी की शिकायत पर एक बड़ी कार्रवाई हुई है। जांच टीम ने सौ से अधिक बाल मजदूरों को मुक्त कराया है। इस पूरे मामले में फैक्ट्री प्रबंधकों पर एफआईआर कराई जा रही है।
महिला बाल विकास अधिकारी संजय निराला ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि फैक्ट्री में बाल मजदूरी की शिकायत पर कार्रवाई की गई है, और 125 बाल मजदूरों में मुक्त कराया गया। उन्होंने बताया कि बाल मजदूरों का उम्र की जांच की गई, और फिर कई की उम्र 18 वर्ष से कम पाई गई। ऐसे में अब फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ खरोरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले मजदूरों को जाने दिया जाएगा। मगर जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है ऐसे बच्चे प्रशासन की निगरानी में रहेंगे। उनके परिजनों को बुलाकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह भी बताया गया कि फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ पहले भी कार्रवाई हो चुकी है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, महिला- बाल विकास विभाग, पुलिस व गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (एवीए) ने सोमवार को संयुक्त रूप से रायपुर की एक मशरूम प्रसंस्करण यूनिट पर छापे में 120 बच्चे मुक्त कराए। चार घंटे तक चली इस कार्रवाई में 14 से 17 साल की उम्र की 80 लड़कियां और 40 लडक़े बाल श्रम से मुक्त कराए गए। यह बताया गया कि उन्हें बेहद अमानवीय हालात में रखा और काम कराया जाता था। ये बच्चे मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, ओडि़शा, मध्य प्रदेश, झारखंड और असम के जनजातीय इलाकों के थे।
आयोग में की गई शिकायत में बताया गया कि स्थानीय एजेंट बच्चों को ट्रैफिकिंग के जरिए उनके गृह राज्यों से लाए और यहां काम पर लगा दिया था। इनमें से कुछ बच्चे जो अब 17 साल के हैं, उन्हें 6 साल पहले यहां लाया गया था और तब से यहां कैद जैसी हालत में रखकर खटाया जा रहा था।
एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (एवीए) ने एक बयान में कहा कि इस मशरूम फैक्टरी में लगभग बंधुआ मजदूरी जैसी हालत में इन बच्चों से बेहद अमानवीय और शोषणकारी स्थिति में काम लेने के बाबत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। एवीए ने कहा कि इन बच्चों का गंभीर रूप से शोषण हो रहा है, उनकी आवाजाही पर पाबंदी है और उन्हें इस तरह डरा-धमका कर रखा जाता है जो मानव दुर्व्यवहार (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) और बंधुआ मजदूरी के समान है। मुक्त कराए गए बच्चों ने जांच टीम से कहा कि उन्हें फैक्टरी में ही बने छोटे और अंधियारे कमरे में रखा जाता था, उनसे 12-15 घंटे काम कराया जाता था और रात को शायद ही कभी खाना दिया जाता था।
चि_ी पर तुरंत कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने एसएसपी को सूचित किया जिन्होंने डीएसपी नंदिनी ठाकुर के नेतृत्व में एक टीम गठित कर तत्काल छापे की कार्रवाई की। बच्चों को तत्काल सुरक्षा में लेते हुए उनकी काउंसलिंग की गई और कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई।
उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंका कानूनगो, छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास अधिकारी संजय निराला और रायपुर की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की प्रमुख डीएसपी नंदिनी ठाकुर की भी सराहना की, जिन्होंने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी।


