रायगढ़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 11 अक्टूबर। परम पूज्य श्रद्धेय सद्गुरु रितेश्वर महाराज का रायगढ़ आगमन पर भक्तों श्रद्धालुओं द्वारा गाजा बाजा ढोल के साथ भव्य स्वागत किया गया।
सेवा कुंज में रितेश्वर महाराज के भक्ति रस की ऐसी बयार बही कि मौजूद भक्त गण मंत्र मुग्ध होकर भक्ति रस में डूब गए। ज्ञात हो कि रितेश्वर महाराज सनातन धर्म के प्रबल प्रवर्तक है। इन दिनों सनातन धर्म के प्रसार प्रचार को लेकर वे छत्तीसगढ़ प्रवास पर है। शिवरी नारायण से रायगढ़ आगमन पर उनका भावभीना स्वागत करते हुए सुनील लेंध्रा के निवास के निकट स्थित सेवा कुंज ले जाया गया। वहां उन्होंने व्यक्ति उत्थान लिए अध्यात्म से जुड़े जीवन के रहस्यों पर प्रकाश डाला। रायगढ़ की आम जनता को दिए संदेश में उन्होंने कहा कि वे पूरे देश में सनातन संस्कृति को अलख जगाने निकले है। राजनैतिक दल कोई विषय नहीं है। हर देशवासी को सनातन संस्कृति के प्रति जागरूक होना चाहिए। पुरातन समय से लड़ाई हमेशा चलती रही, लेकिन सनातन संस्कृति सदा से अक्षुण है। शिबरी नारायण सडक़ मार्ग से रायगढ़ आने का वाले रितेश्वर महाराज का दर्शन पाने भक्त गण रायगढ़ सहित छग के साथ आस पास जांजगीर चांपा बिलासपुर जिले से भी आए थे।
सेवा कुंज में उद्बबोधन के पहले इनका स्वागत सुनील लेंध्रा सीबी शर्मा, सुरेश गोयल ओम अग्रवाल, पूनम अग्रवाल एवं डीएन सिंह द्वारा किया। व्यक्ति का जीवन कैसा होना चाहिए इस पर महाराज रितेश्वर ने प्रकाश डाला। महाभारत में दुर्योधन और कर्ण का उदाहरण देते हुए आम जनमानस को बताया साथ देने के पहले सत्य असत्य को जानना आवश्यक है। कर्ण का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कर्ण सामथ्र्य वान रहा लेकिन गलत के साथ की वजह से उसका दुखद अन्त हुआ। लोगों से आह्वान करते हुए महाराज ने सुबह शाम रामचरितमानस के दोहे का स्मरण करने का करबद्ध आग्रह किया।
सुबह उठते के साथ ही मोबाइल देखने की आदत को सबसे खतरनाक बीमारी बताते हुए कहा इस बीमारी की वजह से सुबह की ईश्वर आराधना प्रभावित हुई है, इसके अलावा आध्यामिक आराधना का कार्य भी बाधित हुआ है। सुबह का समय ईश्वर आराधना के लिए होता है, लेकिन इसकी बजाय आज की युवा पीढ़ी मोबाइल अधिक देखती है।
हार मानने की बजाय संघर्ष करने की सलाह देते हुए कहा सोना को गलाने से ही उसका खोट निकलता है। सनातन का विरोध करने वालों पर भी रितेश्वर महाराज ने तीखी टिप्पणी की। सनातन की रक्षा करने वालों के साथ हमें पूरी ताकत एवं श्रद्धा से खड़ा होना चाहिए। स्पष्ट संदेश देते हुए कहा जो राम का नहीं है, वह किसी काम का नहीं है, राम कृष्ण के जीवन भी कष्टों से भरा रहा। भगवान राम ने सिंहासन का त्याग करते हुए पिता के वचनों की पूर्ति के लिए वनवास स्वीकार किए इसलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाए। भगवान कृष्ण का जीवन भी कांटों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी ही मुस्कुराना नहीं छोड़ा। सबसे बड़े युद्ध में मु_ी भर लोगों के सारथी बनकर हजारों सामथ्र्यवान लोगों का सामना कर युद्ध जीता। यदि बांसुरी वाले को मालूम होता कि बांसुरी बजाने से दुष्ट व्यक्ति मान जायेंगे तो वे युद्ध नही होने देते उन्होंने बुरी शक्तियों को हराने के लिए युद्ध को स्वीकार किया। आज युद्ध की आवश्यकता नहीं बल्कि सनातन धर्म विरोधी ताकतों के खिलाफ हमें मतदान करना है।
रायगढ़ में रविवार की शाम कथा प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा यह व्यासपीठ राजनीति की कुर्सी नहीं है। यह पीठ इंसान को सही जीवन का सही मार्ग दिखा सकती है। दुनिया को खतम करने के लिए परमाणु बम बनाए जा रहे है लेकिन आदमी को जीवन देने की कोई प्रक्रिया तलाश नही की जा सकी। ऐसा कोई साइंस नहीं है, जो मनुष्य को जीवन दे सके। सभी से सनातन धर्म की रक्षा का आह्वान करते हुए कहा मानव कल्याण के जरिए समाज कल्याण हमारा कर्तव्य है।