राष्ट्रीय

-सुशील मानव
उत्तर प्रदेश की रहने वाली एक प्रवासी महिला ससरस्वती (29 वर्ष) महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ के दिघी इलाके में अपने पति और बेटी के साथ किराए पर एक फ्लैट में रहती थी। कुछ दिन पहले उसका पति राजेश कुमार किसी काम से यूपी गया और बीमार हो गया। इसके बाद महिला यहां अपनी बेटी के साथ अकेले रह रही थी। इस सप्ताह के मंगलवार या बुधवार को उक्त महिला का निधन हो गया। लेकिन दो दिन तक किसी को इसकी भनक नहीं लगी। दो दिन बाद गुरुवार को पड़ोसियों को दुर्गन्ध आने लगी, लेकिन कोरोना के डर की वजह कोई भी फ्लैट के अंदर घुसने को तैयार नहीं था।
शुक्रवार को किसी ने पुलिस स्टेशन फोन कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद कांस्टेबल सुशीला गाभले और रेखा वाजे मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़कर अंदर घुसीं तो उनकी आंखें फटी रह गईं। एक साल की एक बच्ची शव के बगल में लेटी थी और भूख से तड़प रही थी। दिघी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक मोहन शिंदे ने बताया कि हमने मृत महिला के पड़ोसियों से मदद मांगी, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। कोरोना के डर से किसी ने बच्ची को हाथ तक नहीं लगाया। इसके बाद दोनों कांस्टेबल बच्ची को पुलिस स्टेशन ले आईं और महिला के शव को हॉस्पिटल भिजवाया। औरत की मौत की वजह की जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम से पता चला की महिला की मौत उसका शव मिलने से करीब दो दिन पहले हो चुकी थी।
कांस्टेबल सुशीला गाभले ने बताया कि बच्ची की हालत लगातार गंभीर हो रही थी और अगर कुछ घंटे और हो जाते तो शायद कोई अनहोनी घट सकती थी। हमने बच्ची को सबसे पहले दूध और बिस्किट खिलाया और फिर डॉक्टर की सलाह पर कुछ सिरप दिए। फिलहाल उसके पिता को इसकी सूचना दे दी गई है। वह शनिवार शाम तक पुणे पहुंच जाएंगे और बच्ची को उन्हें सौंप दिया जाएगा।
मोहन शिंदे ने कहा कि बाल कल्याण समिति के निर्देशों के मुताबिक बच्ची को सरकारी चाइल्ड केयर होम में भेज दिया है।