राष्ट्रीय
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-प्रतीक अवस्थी
जबलपुर. कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण के बीच जबलपुर प्रशासन के हाथ-पांव एक बार फिर फूलने लगे हैं. दरअसल, बीते दिनों एक महिला ब्रिटेन से लौटी, इसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. प्रशासन अब यह जांच करने में जुटा है कि कहीं ये कोरोना का स्ट्रेन-2 तो नहीं. हालांकि, महिला में कोरोना के सामान्य लक्षण ही पाए गए हैं.
प्रशासनिक अमले ने सावधानी के चलते महिला को अलग वार्ड में रखा है, जहां उसका इलाज जारी है. जांच करने वाले डॉक्टर का कहना है कि महिला के सैंपल बाहर भेजे गए हैं. बता दें कि 52 साल की महिला 12 दिसंबर को भारत आई थी और उसके बाद जबलपुर पहुंची. गौरतलब है कि यहां अन्य लोगों की भी तलाश की जा रही है जो ब्रिटेन से लौटे हैं.
कोरोना ने दी नई टेंशन
दुनियाभर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. कोरोना वायरस से होने वाले प्रभाव को लेकर विशेषज्ञ हर दिन नई जानकारी दे रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना वायरस से इंसान में न्यूमोथोरैक्स की दिक्कत हो रही है. आसान भाषा में समझा जाए तो कोरोना वायरस के कारण मरीज के फेफड़े इतने कमजोर हो जा रहे हैं कि उनमें छेद हो जा रहा है. वैज्ञानिकों ने कहा कि हम इस बात को लेकर इसलिए ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि इसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल सका है.
कुछ मरीजों में मिले लक्षण
कोरोना वायरस की वजह से फेफड़ों में फाइब्रोसिस हो रहा है. इसका मतलब है कि हवा वाली जगह पर म्यूकस का जाल बन रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक जब फाइब्रोसिस की संख्या बढ़ जाती है तो न्यूमोथोरैक्स यानी फेफड़े में छेद हो जाता है. डॉक्टरों ने बताया कि गुजरात में कोरोना से संक्रमित कुछ मरीजों में इस तरह की दिक्कत देखने को मिली है. ये सभी मरीज 3 से 4 महीने पहले कोरोना से ठीक हुए थे लेकिन इनके फेफड़ों में फाइब्रोसिस की शिकायत मिली है.
सीने में तेज दर्द और सांस लेने में दिक्कत
इन मरीजों को सीने में तेज दर्द औऱ सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है. प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों के डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना की वजह से हुए फाइब्रोसिस जब फट जाते हैं तो फेफड़ों में न्यूमोथोरैक्स शुरू हो जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक न्यूमोथोरैक्स में फेफड़े के चारों तरफ की बाहरी दीवार और अंदरूनी परतें इतनी कमजोर हो जाती हैं कि उनमें हीलिंग की क्षमता कम हो जाती है. डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़े इतने कमजोर हो जाते हैं कि उनमें छेद हो जाता है.