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नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मंगलवार को राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया गया कि वे उन सभी यौन कर्मियों को बिना राशन कार्ड या किसी अन्य पहचान प्रमाण के सूखा राशन उपलब्ध कराएं, जिनकी पहचान राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और जिला कानून अधिकारियों द्वारा की गई है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान बेसहारा हो गए यौन कर्मियों के सामने आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकारों में से किसी ने भी इनके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। शीर्ष अदालत ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे चार हफ्ते के भीतर आदेश के कार्यान्वयन और इस फैसले से लाभान्वित हुए यौन कर्मियों की संख्या के बारे में कोर्ट को सूचित करें।
पीठ की तरफ से यह फैसला एनजीओ दरबार महिला समिति की एक आवेदन पर सुनवाई के दौरान किया गया, जिसमें देशभर में नौ लाख से अधिक महिला और ट्रांसजेंडर यौन कर्मियों के लिए राहत की मांग की गई थी।