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न्यूयॉर्क, 12 जुलाई । महाराष्ट्र की वर्षा देशपांडे को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। महिला अधिकार कार्यकर्ता और दलित महिला विकास मंडल की संस्थापक वर्षा देशपांडे ने संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार मिलने पर अपनी खुशी भी जाहिर की। वर्षा देशपांडे एक जानी-मानी महिला कार्यकर्ता हैं, जो पिछले 35 साल से निरंतर लैंगिक हिंसा और भेदभाव जैसी सामाजिक असमानता के खिलाफ संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने असमानताओं से लड़ने के लिए 1990 में दलित महिला विकास मंडल की नींव रखी, ताकि महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाया जा सके और उन्हें मूलभूत सुविधाओं से जोड़ा जा सके। उन्होंने प्रसूति पूर्व लिंग चयन के समाधान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सामूहिक भागीदारी और वकालत से इस विषय पर लोगों की मानसिकता बदलने में अहम योगदान दिया है। दलित महिला विकास मंडल का नेतृत्व करते हुए वर्षा देशपांडे ने बाल विवाह, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा तथा महिलाओं की संपत्ति का पंजीकरण कराने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। वह गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अभियान (पीसीपीएनडीटी) कानून के तहत बनी सरकारी समितियों की सदस्य हैं।
इस कानून के क्रियान्वयन के लिए उन्होंने बहुत कार्य किया। वर्षा देशपांडे कहती हैं, "यह मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है कि प्रसूति पूर्व लिंग चुनाव पर काम के लिए मुझे संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार दिया जा रहा है। ये पुरस्कार केवल मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि उन असंख्य व्यक्तियों और संस्थाओं के सामूहिक प्रयासों को समर्पित है, जो समुदाय के साथ जुड़कर सकारात्मक परिवर्तन लाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कार्यरत हैं। मैं आशा करती हूं कि यह सम्मान प्रसूति पूर्व लिंग चयन जैसे गंभीर मुद्दे पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने में सहायक होगा।" उन्होंने आगे कहा, "वैश्विक स्तर पर नेतृत्व पूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों की सूची में सम्मिलित किया जाना मेरे लिए विनम्रता और प्रेरणा का स्रोत है। मैं उम्मीद करती हूं कि मैं इस सम्मान के योग्य बन सकूं और मुझ पर किए गए विश्वास को पूरी तरह निभा सकूं।" यूएनएफपीए इंडिया की प्रतिनिधि और भूटान की कंट्री डायरेक्टर एंड्रिया एम. वोजनार ने कहा, "एक समान अधिकार वाले समाज के निर्माण के लिए वर्षा देशपांडे के अग्रणी प्रयास वास्तव में प्रशंसनीय हैं। लिंग, जाति या धर्म के आधार पर होने वाले सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता सराहनीय है। उनके इस कार्य की वजह से लोग, खासकर महिलाएं और लड़कियां गरिमा, अवसर और कल्याण के साथ जीवन व्यतीत कर रही हैं।
मैं उनके जुनून की गहराई से सराहना करती हूं और लिंग-पक्षपाती लिंग चयन जैसे संवेदनशील और अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे पर काम करने के लिए उनके साहस की प्रशंसा करती हूं।" हर साल संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार समिति किसी एक व्यक्ति या संस्था को सम्मानित करती है, जो जनसंख्या से जुड़े मुद्दों और प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में शानदार योगदान देते हैं। यह पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1981 में प्रस्ताव संख्या 36/201 के जरिए शुरू किया था और पहली बार 1983 में दिया गया था। अब यह पुरस्कार अपने 40वें वर्ष में पहुंच चुका है। इस पुरस्कार में एक स्वर्ण पदक, एक सम्मान पत्र (डिप्लोमा) और नकद राशि दी जाती है। यह पुरस्कार देने वाली समिति 8 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से बनी होती है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और यूएनएफपीए के कार्यकारी निदेशक इसके स्थायी सदस्य होते हैं। हर साल 31 दिसंबर तक नामांकन स्वीकार किए जाते हैं। इस पुरस्कार की देखरेख यूएनएफपीए करता है। यूएनएफपीए, संयुक्त राष्ट्र की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी है। यूएनएफपीए सभी के लिए प्रजनन अधिकार सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसकी सेवाओं में स्वैच्छिक परिवार नियोजन, गुणवत्तापूर्ण मातृत्व और स्वास्थ्य देखभाल एवं व्यापक यौन शिक्षा शामिल है। -(आईएएनएस)