राष्ट्रीय

नई दिल्ली, 6 नवंबर । केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को कहा कि वह इस बात से 'परेशान' रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में राजद्रोह क़ानून पर अस्थाई रोक लगाने का फ़ैसला लिया.
रिजिजू का कहना है कि सरकार ने कोर्ट को सूचित किया था कि वह क़ानून में बदलाव करने के बारे में सोच रही है, इसके बावजूद कोर्ट ने ये फ़ैसला लिया.
क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के आदेश का ज़िक्र कर रहे थे, जिसमें भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए यानी राजद्रोह क़ानून को तब तक स्थगित रखा जाना चाहिए जब तक कि केंद्र सरकार इस प्रावधान पर पुनर्विचार नहीं करती.
इंडिया टूडे को दिए इंटरव्यू में रिजिजू ने कहा, "हमने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार देशद्रोह क़ानून के प्रावधान को बदलने के बारे में सोच रही है. इसके बावजूद, अदालत ने देशद्रोह क़ानून पर रोक लगा दी. मैं इस फ़ैसले से नाख़ुश था." (bbc.com/hindi)