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राजद के तेजस्वी के लिए परेशानी का सबब बनेंगे कांग्रेस के कन्हैया!
30-Sep-2021 2:58 PM
राजद के तेजस्वी के लिए परेशानी का सबब बनेंगे कांग्रेस के कन्हैया!

मनोज पाठक 

पटना, 30 सितम्बर | बिहार में वामपंथी दल के जरिए राजनीति की शुरूआत करने वाले नेता कन्हैया कुमार तमाम अटकलों के बीच कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करके राजद के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। कन्हैया के कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद वे उस विपक्षी दलों के महागठबंधन में 'इंट्री' ले ली है जिसके निर्विवाद नेता अब तक राजद के तेजस्वी यादव माने जाते रहे हैं।

ऐसे में यह कयास लगाया जाना लगा है कि अब कन्हैया बिहार में राजद के युवा नेता तेजस्वी के लिए परेशानी का कारण बनेंगे।

कन्हैया की छवि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी नेता के रूप में रही है। पिछले लोकसभा चुनाव हो या पिछले साल विधानसभा चुनाव हो राजद के नेता तेजस्वी यादव अब तक कन्हैया कुमार के साथ मंच साझा नहीं की है। पिछले विधानसभा चुनाव में वामपंथी दल भी महागठबंधन में शामिल थे।

वैसे, राजद और कन्हैया के बीच प्रारंभ से ही 36 का रिश्ता रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी जब बेगूसराय से सीपीआई की टिकट पर कन्हैया चुनाव मैदान में उतरे थे तब राजद ने वहां से तनवीर हसन को चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणात्मक बना दिया था, जिसका अंतत: लाभ राजग को मिला और भाजपा के प्रत्याशी गिरिराज सिंह को यहां जीत मिली।

अब चर्चा है कि अगर कन्हैया कुमार को बिहार में कोई जिम्मेदारी कांग्रेस सौंपती है तो इसका सीधा असर तेजस्वी यादव पर पड़ सकता है। इसमें कोई शक नहीं तेजस्वी को राजनीति जहां विरासत में मिली है, वहीं कन्हैया संघर्ष कर राजनीति में अपना वजूद तलाश रहे हैं।

राजद के सूत्रों का भी मानना है कि पार्टी में इसे लेकर चर्चा भी तेज हो गई है। तेजस्वी और कन्हैया दोनों युवा है। दोनों विपक्ष में हैं, ऐसे में तेजस्वी के लिए महागठबंधन में ही चुनौती मिलेगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।

बिहार में महागठबंधन में राजद सबसे बड़ी पार्टी है और महागठबंधन में लालू प्रसाद से बड़ा कोई चेहरा भी नहीं है। ऐसे में लालू प्रसाद के पुत्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव निर्विवाद रूप से महागठबंधन के नेता बने हुए हैं। लेकिन कांग्रेस के कन्हैया के बिहार की राजनीति का अगर दायित्व मिलता है, तो तेजस्वी के लिए आगे की राह इतनी आसान नहीं होगी।

सवाल इन दोनों नेताओं के व्यक्तित्व को लेकर भी है। दोनों नेता एक-दूसरे के नीचे काम करेंगे, यह भी भविष्य में देखने वाली बात होगी। अगर, कांग्रेस महागठबंधन में रहती है तो यह देखना काफी दिलचस्प होगा।

राजद के प्रवक्ता और भाई वीरेंद्र ने इसके संकेत दे भी दिए हैं। भाई वीरेंद्र ने कन्हैया को पहचानने से ही इंकार कर दिया।

दूसरी ओर राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी जरूर कहते हैं, "किसी पार्टी में किसी के आने और जाने से राजद को कोई फर्क नहीं पड़ता। वह दूसरी पार्टी का मामला है। राजद और बिहार में महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव है। तेजस्वी ने नेता के रूप में मिले दायित्व को सिद्ध भी किया है।"

वैसे, तेजस्वी और कन्हैया को लेकर अभी बहुत कुछ कहना जल्दबाजी है। लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि कांग्रेस में कन्हैया की 'इंट्री' के बाद राजद के तेजस्वी को अब अपने ही महागठबंधन में चुनौती मिलने वाली है, अब वे इस चुनौती से कैसे निपटते हैं, यह देखने वाली बात होगी। (आईएएनएस)


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