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चीनी ऐप के जरिए लगाया 150 करोड़ का चूना
10-Jun-2021 4:05 PM
चीनी ऐप के जरिए लगाया 150 करोड़ का चूना

दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे घोटाले का भंडाफोड़ किया है जिसका तहत चीनी ऐप के जरिए कई लोगों के साथ फर्जीवाड़ा किया गया. दो महीनों के अंदर पांच लाख से ज्यादा लोग इस घोटाले की चपेट में आए. इन्हें 150 करोड़ रुपयों का चूना लगाया गया.

   डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट  

दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि कुछ चीनी नागरिक और कुछ भारतीय नागरिक मिल कर तीन ऐपों के जरिए फर्जी ऑनलाइन मल्टी-लेवल मार्केटिंग अभियान चला रहे थे. इन ऐपों के नाम हैं "पावर बैंक", "सन फैक्टरी" और "ईजेड प्लान". पुलिस ने कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि ये लोग इन ऐपों के जरिए निवेश पर काफी आकर्षक लाभ का लालच दे कर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे थे. इन्हें पकड़ने के लिए दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पश्चिम बंगाल में कई बार रेड की गई. गिरफ्तार किए गए लोगों में दिल्ली और गुरुग्राम के दो चार्टर्ड अकाउंटेंट भी शामिल हैं.

पुलिस के अनुसार यह गिरोह इन दोनों राज्यों के अलावा कर्नाटक, ओडिशा, असम और गुजरात में भी सक्रिय था. भारत और चीन में बैठे इस गिरोह के सदस्यों ने लुटे हुए इस पैसे को इधर से उधर करने के लिए फर्जी कंपनियां भी बनाई थीं. पुलिस ने बताया कि अविक केडिया नाम के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कम से कम 110 ऐसी फर्जी कंपनियां बनाई थीं जिनकी मदद से कई बैंक खातों के जरिए पैसा इधर से उधर किया जा सके. अकेले अविक से ही 97 लाख रुपए बरामद हुए हैं.

पुलिस का दावा है कि घोटाले के पीछे चीन के कुछ लोग हैं जिन्होंने मैसेंजर सेवाओं के जरिए भारत में लोगों से संपर्क किया और फिर उन्हें अपने गिरोह का हिस्सा बनाया. इन लोगों ने फिर भारत में इन ऐपों को बनवाया जिनके सर्वर चीन में हैं. फिर आम लोगों से संपर्क कर उन्हें इन ऐपों के जरिए निवेश करने और निवेश की हुई राशि पर आकर्षक लाभ पाने का लालच दिया गया. शुरू में निवेश की हुई राशि पर पांच से 10 प्रतिशत तक लाभ दिया जाता था, जिससे निवेशक को लगता था कि इसमें कहीं कोई धोखाधड़ी नहीं है. उसके बाद निवेशक को और ज्यादा निवेश करने और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से भी निवेश करवाने के लिए कहा जाता था.

किसी भी निवेशक से बड़ी मात्रा में निवेश हासिल करने के बाद ऐप पर उसका खाता ब्लॉक कर दिया जाता और पैसों को कई बैंक खातों के एक जाल के जरिए इधर से उधर कर दिया जाता. दिल्ली पुलिस ने बताया कि इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ करने के लिए एक पुलिसकर्मी नकली निवेशक बना और उसने ऐप के जरिए निवेश किया. उसके बाद भुगतान के लिए भेजे गए लिंक, यूपीआई आईडी, लेन देन आईडी आदि की जांच की गई, जिसकी मदद से गिरोह का पर्दाफाश हो पाया.

जिन ऐपों का इस्तेमाल किया गया उनमें से कुछ को वेबसाइट से डाउनलोड करना पड़ता था लेकिन पॉवरबैंक जैसे ऐप तो गूगल के प्लेस्टोर पर उपलब्ध हैं और उन्हें आसानी से वहां से डाउनलोड किया जा सकता है. इसे देखते हुए पुलिस ने आम लोगों को आगाह किया है कि अपने मोबाइल पर कोई भी ऐप डाउनलोड करने और उसे मोबाइल का डाटा इस्तेमाल करने की इजाजत देने से पहले उसके बारे में अच्छे से छानबीन कर लें. (dw.com)


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