महासमुन्द

किसान बिना डीएपी धान बोने विवश, सोसायटियों में नहीं बाजार में ऊंची दर पर उपलब्ध
24-Jun-2025 3:05 PM
किसान बिना डीएपी धान बोने विवश, सोसायटियों में नहीं बाजार में ऊंची दर पर उपलब्ध

5000 की जरूरत, मिला 1900 टन डीएपी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 24 जून। महासमुंद जिले के लाखों किसान इस दफे डीएपी खाद के बिना ही धान की बोवाई के लिए विवश हैं। बहुत से किसान बोवाई कर चुके हैं। जो नहीं कर पाए हैं, उन्हें अब भी डीएपी का इंतजार है। वे रोजाना सोसायटियों में जाकर डीएपी खाद के बारे में पूछते हैं। कईयों ने डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके का उपयोग करते हुए बोवाई कर ली। धान के कोमल पौधों की अच्छी ग्रोथ और मजबूती के लिए दशकों से किसान डीएपी का उपयोग करते आ रहे हैं। इस बार हालात बिगड़ गए हैं।

सोसायटियों में सरकारी दर मतलब बाजार से कम दर पर मिलने वाला डीएपी ब्लैक में खरीदना पड़ रहा है। जिले को 5000 टन डीएपी की जरूरत है। जबकि, अब तक मात्र 1900 टन ही मिल पाया है। आगे आने की उम्मीद कम है। मार्कफेड सूत्रों के मुताबिक कृषि विभाग ने जिले के लिए इस खरीफ सीजन हेतु 5000 टन डीएपी की जरूरत बताई थी। जबकि, पहली खेप में जिले को 1800 टन और अभी 3 दिन पूर्व 100 टन कुल 1900 टन डीएपी मिल चुका है। आगे डीएपी खाद आने की उम्मीद कम है। यानी जिले में ही 3100 टन डीएपी खाद का शार्टेज दिख रहा है। ऐसी स्थिति में लाखों किसानों को खुले बाजार से महंगी दर पर डीएपी खरीदना पड़ेगा। कई किसान तो खरीद चुके हैं। सोसायटी में डीएपी की सरकारी दर 1350 प्रतिवेग है। जबकि, बाजार में इसकी कीमत 1600-1800 रूपए तक जा पहुँची है। कहीं-कहीं तो 1900 रूपए में भी नहीं मिल रहा है। किसान जब 2000 में लेने तैयार होंगे तब निजी गोदामों से डीएपी बाहर आएगा। अभी भी ऊँची दर देने वालों को डीएपी उपलब्ध हो रहा है। सरकारी तौर पर डीएपी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है तो फिर बाजार में ऊँची दर पर डीएपी कैसे मिल रहा है?

मानसून के बादल अभी जमकर नहीं बरसे हैं। लेकिन, आज-कल में कभी भी बरस सकते हैं। इस बीच कम बारिश में ही बहुत से किसानों ने धान की बोवाई बिना डीएपी के कर ली। जिन्हें अच्छी बारिश का इंतजार है वे किसान अब भी डीएपी का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे किसान सोसायटी से संपर्क बनाए हुये हैं। कई किसान तो रोज सोसायटी जाकर डीएपी आया या नहीं, पता लगा रहे हैं। सरकार ने मान लिया है कि डीएपी का संकट है। और इसके विकल्प के तौर पर एनपीके का इस्तेमाल करने लगातार कहा जा रहा है। जबकि, किसान एनपीके को डीएपी का  विकल्प मानने को तैयार नहीं है। अब तो मार्कफेड के अधिकारी मौखिक तौर पर कह चुके हैं कि अब डीएपी शायद ही आएगा।

जितना डीएपी मार्कफेड को मिला उसके वितरण में भी बड़ी असमानता देखी गई। वितरण का का आधार क्या था? यह तो पता नहीं। लेकिन अनेक सोसायटियों को डीएपी का एक दाना नहीं मिला। बागबाहरा क्षेत्र में कोमाखान समेत कुछ सोसायटियों में मांग के बावजूद डीएपी नहीं दिया गया। उस क्षेत्र के किसान बिना डीएपी के धान बोवाई के विवश हैं। कुछ सोसायटियों में तो इसका विकल्प एनपीके भी उपलब्ध नहीं है। यूरिया और पोटाश ही इन सोसायटियों को दिया गया था।

 

इन दिनों बसना क्षेत्र में धान बोवाई का कार्य जोरों पर चल रहा है। विशेष कर भंवरपुर, बड़ेसाजापाली क्षेत्र में खुर्रा बोनी होता है। लेकिन सहकारी समितियों में डीएपी की कमी के कारण किसानों को बोवाई में व्यवधान पहुंच रहा है। किसी भी सरकारी समिति के गोदाम में डीएपी खाद नहीं होने के कारण किसान परेशान हैं।

 किसानों का कहना है कि सहकारी समिति के बजाय निजी खाद विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध है। किसानों को सहकारी समिति से ऋण पर खाद, बीज उपलब्ध होता है। पैसे की कमी के कारण वे बाजार से खाद नहीं खरीद सकते। वहीं सहकारी समितियों में अनुपलब्धता के कारण मजबूरी में किसानों को बाजार से महंगे दर पर डीएपी खरीदना पड़ रहा है। खाद के लिए निजी दुकानदारों के पास मारामारी चल रही है।

किसानों का कहना है कि सहकारी समितियों में अनुपलब्धता के कारण निजी खाद विक्रय केंद्र के संचालक चोरी छुपे मनमाने रेट पर किसानों को खाद बेच रहे हैं। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा भंवरपुर अंतर्गत आने वाली 10 सहकारी समिति के खाद भंडार गृह में डीएपी नहीं हैं। किसान रोज खाद गोदाम आकर डीपी खाद का पता करते हैं। इन सहकारी समितियों में बाकी खाद उपलब्ध है। लेकिन धान बोवाई में केवल डीएपी खाद की आवश्यकता होती है। समय रहते बोवाई कार्य के लिए डीएपी खाद नहीं मिलती है। तो उपज में भी कमी आएगी।

किसानों की मांग पर जब जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा भंवरपुर के प्रबंधक सी के विशाल से बात की गई तब उन्होंने बताया कि किसानों की मांग पर उनके द्वारा भंवरपुर क्षेत्र के 10 सहकारी समितियों के लिए आरओ जारी कर शासन को प्रेषित किया गया है। लेकिन डीएपी खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

 उन्होंने बताया कि उड़ेला सहकारी समिति के लिए 2000 पैकेट, धामनघुटकुरी समिति के लिये 2000 पैकेट, बाराडोली समिति के लिए 1600 पैकेट, भंवरपुर 2000 पैकेट, ठूठापाली समिति के लिए 2600, बिछियां समिति के लिए 4000 पैकेट, लम्बर समिति के लिए 3000 पैकेट, रोहिना समिति के लिए 2000 पैकेट, बड़े साजापाली के लिए 3000 पैकेट, सलखण्ड समिति के लिए 2000 सभी 10 समिति के लिए कुल 24050 पैकेट की आवश्यकता है। लेकिन शासन से अब तक डीएपी खाद का एक दाना उपलब्ध नहीं हो पाया है।


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