महासमुन्द

बीज गेंदों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं-डॉ.चेलक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 24 जून। शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय महासमुंद में प्राचार्य प्रोफेसर करुणा दुबे एवं प्रभारी प्राचार्य डॉ रीता पांडे के निर्देशन में वनस्पति शास्त्र विभाग में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बीज गेंदों का निर्माण किया गया है।
संकाय अध्यक्ष विज्ञान एवं विभाग अध्यक्ष वनस्पति शास्त्र डॉ ई पी चेलक ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण हेतु एमएससी वनस्पति शास्त्र के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिवर्ष अप्रैल मई महीने में अलग-अलग प्रकार के देशी पौधों के बीजों को इक_ा करके सीड बाल बनाया जाता है। जिसमें मुख्य रूप से जामुन, आम, नीम, अर्जुन, बेल, करंज, सीताफल, अमरुद, कनेर आदि पौधे के बीजों को लिया जाता है। एक पौधे के बीच को अंकुरित होने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है बीज,मिट्टी और पोषक तत्व। सीड बॉल एक बीज है जिस मिट्टी में लपेटा जाता है और उसमें कुछ पोषक तत्व जैसे कोकोपीट, टिशू पेपर, ह्यूमस, गोबर खाद जैसे अन्य सामग्री होते हैं। इस प्रकार तैयार बीजों को पहले धूप में सुखाया जाता है। तैयार की गई अलग-अलग बीजों को अलग-अलग ट्रे में इक_ा किया जाता है। इसे बीज बम के नाम से भी जाना जाता है। बीज बमबारी एक कृषि तकनीक है जिसमें बीज की गेंद को फेंक कर या गिरा कर भूमि पर वनस्पति को पेश किया जाता है। इस प्रकार तैयार की गई सीड बाल को जून और जुलाई के महीने में रोड किनारे किसी तालाब के पास या मैदान पर या जंगलों के पास भूमि पर गिराकर या फेंक कर वितरित किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग वृक्षारोपण के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है। उपयुक्त नमी और अनुकूल परिस्थितियों में सीड बाल अंकुरित होने लगती है, और आसानी से पौधे एवं वृक्ष में बदल जाते हैं। मुख्य रूप सेे पहाडिय़ों, खड़ी ढलानों, बंजर भूमि,जल ग्रहण क्षेत्र दूरदराज के क्षेत्र आदि दुर्गम स्थानों पर फेंका जा सकता है। कम लागत और आसान तकनीक से बड़े क्षेत्र में तेजी से वनीकरण, मिट्टी का कटाव रोकने और जैव विविधता बढ़ाने में बहुत अच्छे से मददगार है। हाल में ही ड्रोन महोत्सव के दौरान ड्रोन के माध्यम से सीड बाल गिराने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग पर जोर दिया गया है। कल विश्वविद्यालय के परीक्षा उपरांत वनस्पति शास्त्र विभाग द्वारा दूरस्थ ग्रामीण अंचल से आए हुए विद्यार्थियों को सीड बाल का वितरण किया गया और अपने-अपने क्षेत्र में वितरित करने एवं अन्य वर्षो में भी स्वयं इसका निर्माण कर प्लांटेशन करने के बारे में बताया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के पर्यावरण संरक्षण समिति से मनीराम धीवर, राजेश्वरी सोनी एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी महिला इकाई, प्रो.अजय कुमार राजा एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी पुरुष इकाई, लेफ्टिनेंट प्रदीप कन्हैर एनसीसी अधिकारी और समस्त महाविद्यालय परिवार सम्मिलित हुए।