महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा , 23 जून। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के सुमधुर कवि स्वर्गीय मधु धांधी के जन्मदिन पर 21 जून को उनकी प्रतिमा का अनावरण पिथौरा विकासखंड में स्थित उनके गृह ग्राम खुटेरी में किया गया।
उनका जन्म 21जून 1951 को ग्राम -पिसीद (विकासखंड -कसडोल) में और निधन तीन अप्रैल 1977 को खुटेरी में हुआ था।
उनके जन्मदिन पर आयोजित प्रतिमा अनावरण समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी थे। अध्यक्षता महासमुन्द के पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने की। विशेष अतिथि के रूप में रायपुर से आए वरिष्ठ साहित्यकार और छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष जी. आर. राना. वरिष्ठ भाषविज्ञानी डॉ. चित्तरंजन कर, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. धीरेन्द्र साव, पिथौरा के वरिष्ठ उपन्यासकार शिव शंकर पटनायक, साहित्यकार और पत्रकार स्वराज्य करुण तथा श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा के अध्यक्ष प्रवीण प्रवाह उपस्थित थे.अनावरण समारोह के बाद, दूसरे सत्र में स्वर्गीय कवि मधु धांधी को समर्पित आंचलिक कवि गोष्ठी भी आयोजित की गयी, जिसमें महासमुन्द, बागबाहरा, बसना और पिथौरा के कवियों ने काव्य -पाठ किया।
प्रतिमा अनावरण समारोह के प्रथम सत्र में डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि किसी कवि के निधन के लगभग अड़तालिस साल के लम्बे अंतराल बाद उनकी प्रतिमा का अनावरण उनके ही गाँव में होना अपने -आप में हैरत में डालने वाली एक महत्वपूर्ण साहित्यिक घटना है।
डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि यह हैरत का विषय इसलिए भी है कि आम तौर पर राज नेताओं और उद्योगपतियों की प्रतिमाओं की स्थापना होती रहती है, लेकिन किसी कलमकार की स्मृति में और वह भी उनके देहावसान के 48वर्ष बाद उनकी मूर्ति की स्थापना का होना, मेरे लिए निश्चित रूप से अचरज का विषय है। डॉ. द्विवेदी ने दिवंगत कवि के गाँव में प्रतिमा अनावरण समारोह को एक शानदार आयोजन बताया और इसके लिए स्वर्गीय मधु धांधी के परिवार जनों तथा खुटेरी के ग्रामवासियों की प्रशंसा की।
मुख्य अतिथि डॉ. द्विवेदी ने कहा कि आज के युग में अधिकांश लोग अपने पूर्वजों को याद नहीं रखते, घर के बुजुर्गों तक को उनके जीते जी भुला दिया जाता है, लेकिन दिवंगत कवि मधु धांधी का परिवार एक सांस्कारिक परिवार है, जिसने उनके निधन के 48 वर्ष बाद भी उन्हें याद रखा और उनकी प्रतिमा की स्थापना करके उनकी स्मृतियों को संरक्षित किया।
डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने स्वर्गीय मधु धांधी को एक क्रांतिकारी और साहसिक कवि बताया और कहा कि दिवंगत कवि मात्र 26 वर्ष की उम्र जी पाए, लेकिन अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों और समाज की कड़वी सच्चाइयों को उजागर करने का साहसिक प्रयास किया।
डॉ. द्विवेदी ने कहा कि सामाजिक विसंगतियों पर ऐसी सूक्ष्म दृष्टि रखने और हिम्मत के साथ अपनी बात कहने, लिखने वाला कवि, अफ़सोस है कि बहुत जल्दी संसार से चला गया। उनकी यह प्रतिमा हमें उनकी रचनाओं की याद दिलाती रहेगी। नई पीढ़ी को चाहिए कि वह न सिफऱ् उन्हें याद करे, बल्कि उनकी रचनाओं को भी पढ़े. डॉ. द्विवेदी ने समारोह में स्थानीय ग्रामीणों और अंचल के विभिन्न स्थानों से आए लोगों की बड़ी संख्या में भागीदारी को काफी उत्साहजनक बताया।
कवि -प्रतिमा के अनावरण से अंचल गौरवान्वित -चुन्नीलाल
समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने कहा कि दिवंगत कवि की प्रतिमा के अनावरण से आज यह सम्पूर्ण अंचल स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। श्री साहू ने कहा कि स्वर्गीय मधु धांधी छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन में रचे-बसे कवि थे।श्री साहू ने उनकी एक छत्तीसगढ़ी कविता की इन पंक्तियों का जिक्र किया -
परसा फेर फुलही डुमर फूल
दिन आ गे हे ना,
महुआ फेर झरही डुमर फूल
कुचिया गे हे ना।
श्री साहू ने कहा कि स्वर्गीय मधु धांधी ने इस अंचल की ज़मीन से जुडक़र कविताओं का सृजन किया।
अपने समय से संवाद करती हैं मधु की कविताएं- डॉ.चित्तरंजन कर
विशेष अतिथि वरिष्ठ भाषा विज्ञानी डॉ. चित्तरंजन कर ने कहा कि कोई भी साहित्यिक -कला सिफऱ् मनोरंजन के लिए नहीं होती, किसी भी कवि की कल्पना निराधार नहीं होती। कविता कभी पुरानी नहीं होती। स्वर्गीय मधु धांधी की कविताएँ भी अपने समय से संवाद करती हैं।
आयोजन के विशेष अतिथि छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध उपन्यासकार शिवशंकर पटनायक ने कहा कि स्वर्गीय मधु धांधी मेरे छात्र रहे। विद्यार्थी जीवन से ही उनमें काव्य सृजन की प्रतिभा विकसित होने लगी थी और वे बहुत अच्छी रचनाएँ लिखने लगे थे।
विशेष अतिथि जी. आर. राना ने प्रतिमा अनावरण समारोह के सफल आयोजन के लिए स्वर्गीय मधु धांधी के परिवार,स्थानीय ग्रामवासियों और श्रृंखला साहित्य मंच को बधाई दी। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. धीरेन्द्र साव ने स्वर्गीय मधु धांधी के काव्य -सृजन की तारीफ़ करते हुए उनसे जुड़ी यादों को साझा किया।
स्वराज्य करुण ने कहा कि स्वर्गीय मधु धांधी अपने नाम के अनुरूप सुमधुर आवाज़ के धनी थे.हर सच्चे कवि की तरह वे बहुत गहरी मानवीय संवेदनाओं के कवि थे उन्होंने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी, दोनों ही भाषाओं में काव्य -साधना की.हिन्दी में ज्यादा लिखा, भले ही उनकी छत्तीसगढ़ी रचनाएँ संख्या में कम हैं, लेकिन वे भी एक से बढक़र एक, बेहतरीन कविताएँ हैं।
श्रृंखला साहित्य मंच के अध्यक्ष श्री प्रवीण च्प्रवाहज् ने भी अपने उदबोधन में स्वर्गीय मधु धांधी को याद किया और प्रतिमा स्थापना समारोह को एक यादगार आयोजन बताया।
अनावरण समारोह के अंत में ग्राम पंचायत खुटेरी के पूर्व सरपंच और स्वर्गीय मधु धांधी के पोते घनश्याम धांधी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन उमेश दीक्षित ने किया।
इस अवसर पर धांधी परिवार के अनेक सदस्य, श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा के अनेक सदस्य, ग्राम पंचायत खुटेरी की सरपंच सुशीला माँझी और उपसरपंच चंचल सिन्हा सहित अनेक पंचगण और बड़ी संख्या में ग्रामवासी तथा पिथौरा के साहित्य प्रेमी नागरिक और पत्रकारगण उपस्थित थे।