महासमुन्द

बुधराम की पहचान दिव्यांगता से नहीं, आत्मनिर्भरता से
22-Oct-2024 3:14 PM
बुधराम की पहचान दिव्यांगता  से नहीं, आत्मनिर्भरता से

 बत्तख और मुर्गियों का पालन कर आर्थिक तंगी से उबरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 22 अक्टूबर। महासमुंद जिले के लखनपुर, झलप निवासी बुधराम साहू 70 प्रतिशत अस्थि बाधित हैं। उन्होंने अपनी दिव्यांगता को कभी अपने सपनों की राह में रोड़ा नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण किया, बल्कि एक सफल व्यवसायी के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। इनकी पहचना लोग दिव्यांग होने के नाते नहीं बल्कि एक मेहनती किरदार के रूप  में करते हैं।

श्री साहू की प्रेरणादायक यात्रा तब शुरू हुई जब समाज कल्याण विभाग ने उन्हें मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल प्रदान की। इस ट्राइसाइकिल ने  उनके जीवन में नया मोड़ लाया। जिससे उन्हें आसपास के गांवों में साग-सब्जी, मशरूम, इमली चॉकलेट जैसी चीजें बेचकर अपनी आजीविका  शुरू करने का अवसर मिला। यह ट्राइसाइकिल उनकी स्वतंत्रता का प्रतीक बन गई और उनके जीवन को गतिशील एवं आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाया। 

वर्तमान में श्री साहू के पास 40 बत्तख और 80 देशी मुर्गियां हैं। उनकी मुर्गियां प्रतिदिन अंडे देती हैं। जिन्हें चूजों में परिवर्तित कर उन्हें अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होती है। बुधराम साहू ने यह साबित कर दिया है कि दिव्यांगता कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। कहते हंैं- समाज कल्याण विभाग ने मुर्गी पालन व्यवसाय के लिए 95 हजार रुपए का ऋण दिया था। जिसका मैंने भरपूर लाभ उठाया और धीर-धीरे मुर्गी पालन व्यवसाय को सफलतापूर्वक विकसित किया। इस कड़ी मेहनत का परिणाम यह रहा कि अब हर महीने लगभग 15 हजार रुपए की आमदनी  होती है। समाज कल्याण की उपसंचालक संगीता सिंह कहती हैं कि बुधराम ने अपने ऋण की पूरी राशि समय से पहले ब्याज सहित चुका दी है।  जिसके फलस्वरूप सरकार ने ब्याज की राशि उन्हें सब्सिडी के रूप में वापस कर दी है।


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