महासमुन्द

लोक साहित्य लोक मन की सहज अभिव्यक्ति - डॉ. अनुसुइया
15-Sep-2024 2:02 PM
लोक साहित्य लोक मन की सहज अभिव्यक्ति - डॉ. अनुसुइया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,15 सितंबर। लोक साहित्य को लोक मन की सहज अभिव्यक्ति कहा जा सकता है। उपरोक्त उद्गार शासकीय महेंद्र कर्मा कन्या महाविद्यालय दंतेश्वरी के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित एकदिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम में नगर की लोक साहित्यविद् प्रो.डॉ अनुसुइया अग्रवाल प्राचार्य शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य महाविद्यालय महासमुंद ने व्यक्त की है।  हिंदी विभाग की अध्यक्ष अर्चना झा ने इस दौरान हिंदी विभाग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

 अतिथि सहायक प्राध्यापक डॉ. नियति अग्रवाल ने प्रमुख वक्ता का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया और बताया कि प्रमुख वक्ता के द्वारा लिखे गए साहित्य पर दुर्ग विश्वविद्यालय से पीएचडी भी हो रही है। तत्पश्चात  डॉ अनुसुइया ने कहा कि लोक की सृष्टि बहुत ही लुभावन और सहज होती है।  कहा कि बहुत ही सहज, साधारण जीवन बिताने वाले मनुष्यों का वह समुदाय जो प्राय: निरक्षर होता है तथा शास्त्रीय ज्ञान से परे होता है वही लोकसाहित्य के माध्यम से अपने सुख दुख, हर्ष, विषाद और आचार, विचार को वाणी देता है। अपने निजी अथवा जीवन की हृदयस्पर्शी घटनाओं को भी वह गायी जा वाली कथाओं, गाथाओं में ढाल समय बिताने के लिए मनोरंजन अथवा पहले के लोगों और घटनाओं के स्मरण की दृष्टि से वह किस्से कहानियां करता है।

उन्होंने कहा कि बच्चों को बहलाने और उन्हें शिक्षा या उपदेश देने के लिए जो उद्धरण वो प्रस्तुत करते हैं उन्हें सामान्य लोगों के बोध को जगाने के लिए पहेलियों और कहावतों में दाल देते हैं जो बहुत ही अद्भुत, बहुत ही बहुत ही सहज, आकर्षक और मनभावन होती है। जहां छल प्रपंच, कूटनीति का कोई स्थान नहीं होता। सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामय: की भावना से जो आपूरित होता है वह लोक समाज है और वहां का साहित्य लोक साहित्य है।

आभार प्रदर्शन वाणिज्य प्रमुख विवेक शर्मा द्वारा किया। उक्त व्याख्यान कार्यक्रम में महाविद्यालय के अधिकारी कर्मचारी, छात्राएं उपस्थित थीं।


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