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पौने सात सौ से अधिक नई प्राथमिक सोसायटी बनेंगी
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 19 जून। अब सहकारी क्षेत्र में सरकारी दखल कम होगा। सरकार ने इसके लिए कार्ययोजना तैयार की है। इस कड़ी में न सिर्फ सोसायटी गठन के नियमों को संशोधित किया जा रहा है, बल्कि धान खरीदी के लिए पहले से तय पौने 7 सौ से अधिक उपकेन्द्रों को प्राथमिक सेवा सहकारी समिति बनाने का प्रस्ताव है।
सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर सहकारिता क्षेत्र में आम लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए सुझाव देने कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी के अध्यक्ष सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह थे। इसके अलावा समिति के सदस्यों में सरकार के दो मंत्री मोहम्मद अकबर और रविन्द्र चौबे भी थे। समिति की कई दौर की बैठक हो चुकी है। इसमें सचिव सहकारिता, पंजीयक के अलावा अतिरिक्त महाधिवक्ता को भी बुलाया गया था। समिति की अनुशंसा पर सहकारिता नियमों में संशोधन का प्रारूप तैयार किया गया है।
बताया गया कि यदि विधानसभा का मानसून सत्र नहीं होता है, तो सहकारिता संशोधन अध्यादेश लाया जा सकता है। इससे सहकारिता कानून को सरल बनाया जा सकेगा। सूत्र बताते हैं कि सहकारिता कानून में संशोधन के बाद सहकारी संस्थाओं में सरकार का दखल कम हो जाएगा। कुछ जटिल नियमों में भी संशोधन करने का प्रस्ताव है, जिसमें सहकारी समिति गठन के लिए 20 सदस्यों का होना जरूरी है। ये सभी अलग-अलग परिवार के होने चाहिए। शहरी इलाकों में तो 20 अलग-अलग परिवार के सदस्यों को जोड़कर सहकारी समिति का गठन आसान है, लेकिन छोटे गांवों में आसानी से समिति का गठन नहीं हो पाता है। यहां 20 अलग-अलग परिवार के सदस्य मिलना कई बार मुश्किल होता है।
नए अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि 10 अलग-अलग परिवार के सदस्य होने पर भी सहकारी समितियों का गठन किया जा सकता है। इसी तरह प्रदेश में वर्तमान में 1333 प्राथमिक सेवा सहकारी समिति है। पिछले 40-50 सालों से इन समितियों की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो पाई है। जबकि गांवों की आबादी बढऩे के साथ-साथ समितियों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जरूरत महसूस की जा रही है। धान खरीदी और खाद-बीज वितरण भी इन्हीं समितियों के जरिए होता है।
बताया गया कि धान खरीदी में सहुलियत के लिए कुल मिलाकर 2013 केन्द्र बनाए गए हैं। ग्रामीणों की मांग पर उपकेन्द्र हैं। इसके जरिए धान खरीदी होती है। कुल मिलाकर 680 केन्द्रों को अब प्राथमिक सेवा सहकारी समिति बनाने का प्रस्ताव है। इससे धान खरीदी और अन्य व्यवस्थाओं में आसानी होगी।