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चेन्नई, 15 नवंबर। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की प्रमुख सहयोगी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया है कि 2002 से संबंधित मतदाता सूची से परिवार के सदस्यों के नामों का ऑनलाइन पता लगाना बेहद कठिन है।
माकपा ने कहा कि उसने निर्वाचन आयोग से मौजूदा एसआईआर (मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया के तहत भरे हुए गणना प्रपत्र जमा करने की समय सीमा चार दिसंबर, 2025 तक बढ़ाए जाने का आग्रह किया है।
माकपा ने तमिलनाडु में 13 नवंबर तक लगभग 80 प्रतिशत मतदाताओं को गणना प्रपत्र वितरित किए जाने के आयोग के दावे पर संदेह व्यक्त किया। उसने आयोग को दिए गए ज्ञापन में सभी लोगों को प्रपत्र का उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों के हस्तक्षेप की मांग की।
माकपा की राज्य इकाई के सचिव पी. षणमुगम ने ज्ञापन में कहा, ‘‘बीएलओ को गणना प्रपत्रों के दायरे को पूरी तरह समझने और लोगों को प्रपत्र भरने के मुख्य बिंदुओं को समझाने में कठिनाई होती है इसलिए वे मतदाताओं से स्वयं प्रपत्र भरने के लिए कहते हैं। निरक्षर मतदाताओं को प्रपत्र भरने में बहुत कठिनाई होगी, इसलिए गणना प्रपत्र भरने के बाद उसे जमा करने के लिए लोगों को (समय सीमा बढ़ाकर) अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए।’’
व्यावहारिक कठिनाइयों को सूचीबद्ध करते हुए ज्ञापन 14 नवंबर यानी शुक्रवार को तमिलनाडु की मुख्य निर्वाचन अधिकारी अर्चना पटनायक को सौंपा गया।
षणमुगम और राज्य समिति के सदस्य आई. अरुमुगा नयनार ने पटनायक से मुलाकात की और उन्होंने जारी एसआईआर प्रक्रिया के दौरान सभी पात्र लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने का आग्रह किया।
माकपा ने कहा कि 2002/05 से संबंधित मतदाता सूची से ऑनलाइन मतदाताओं के नाम खोजना बेहद मुश्किल है और अक्सर ऐसा डेटा डाउनलोड नहीं किया जा सकता।
उसने कहा कि या तो अधिकारियों के पास ऐसी जानकारी उपलब्ध नहीं है या वे इसे लोगों के साथ साझा करने के इच्छुक नहीं हैं इसलिए प्रपत्र पूरी तरह से भरना संभव नहीं है। (भाषा)


