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छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 3 नवंबर । महंगाई भत्ते और 65 साल रिटायरमेंट की उम्र करने समेत अन्य 11 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे हैं। दो बार आंदोलन भी कर चुके हैं लेकिन अब तक सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। इससे नाराज फेडरेशन ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। 22 नवंबर से बेमुद्दत हड़ताल हो सकती है। पूर्व में यह 22 अक्टूबर से होनी थी लेकिन पीएम प्रवास और राज्योत्सव को देखते हुए एक माह के लिए टाल दी गई।
फेडरेशन ने कहा है कि रजत जयंती के अवसर पर उनकी मांगों को लेकर सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो आंदोलन तेज किया जायेगा।फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा, बी पी शर्मा, सचिव राजेश चटर्जी, प्रवक्ता द्वय जी आर चंद्रा, चंद्रशेखर तिवारी, रोहित तिवारी, संजय सिंह ठाकुर, अरुण तिवारी, मनीष मिश्रा एवं केदार जैन ने कहा कि जब राज्य विकास के नए आयाम गढ़ रहा है, तब कर्मचारियों को बुनियादी हक़ के लिए आंदोलन करना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेशभर के कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनभोगी लगातार कर्मचारी-विरोधी निर्णयों से आहत हैं तथा फेडरेशन से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का मांग कर रहे हैं।
फेडरेशन ने सरकार से मांग की है कि कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस पहल की जाए तथा 11 सूत्रीय मांगों पर शीघ्र निर्णय लिया जाए। सरकार रजत जयंती के अवसर पर 11 सूत्रीय मांगों को लेकर शीघ्र निर्णय नहीं लेती तो संगठन को आंदोलन को और तेज करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
फेडरेशन द्वारा घोषित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन की जमीन तैयार हो चुकी है। फेडरेशन के आह्वान पर 22 अगस्त को काम बंद, कलम बंद आंदोलन को प्रदेशभर में व्यापक समर्थन मिला है। फेडरेशन के पदाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ विस्तार से चर्चा होने के बाद भी सरकार कर्मचारियों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। सरकार बनने के पूर्व फेडरेशन के विभिन्न आंदोलनों में भाजपा के हर बड़े नेता शामिल होकर समर्थन दिए थे। मोदी की गारंटी के तहत कर्मचारियों के मुद्दों को लेकर की गई घोषणाओं के क्रियान्वयन करने के लिए दो वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी सरकार निराकरण करने पहल नहीं की जा रही है।
कर्मचारियों को किया जा रहा परेशान
प्रदेशभर के कर्मचारियों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है। प्रदेश के शासकीय सेवकों को शासन स्तर पर बैठे कुछ अधिकारियों द्वारा सिर्फ वाहवाही के लिए योजनाबद्ध तरीके से नए-नए टेक्नोलॉजी लागू कर परेशान किया जा रहा है। जिसके कारण प्रदेश के कर्मचारियों में भय और खौफ का माहौल बना हुआ है। इन अधिकारियों को सीएम और सीएस को यह अवगत कराना चाहिए कि विभागीय सेटअप अनुसार कितने पद स्वीकृत हैं और कितने पद रिक्त है? फेडरेशन ने दावा किया है कि विभागों में अधिकतर पद रिक्त होने के कारण शासकीय सेवकों को देर रात तक काम करना पड़ रहा है। शासकीय सेवकों के ऊपर मानसिक दबाव के चलते अधिकतर कर्मचारी-अधिकारी कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे है।


