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16 साल बाद हाई कोर्ट ने चीनी और उड़द दाल की जब्ती रद्द की
13-Sep-2025 1:18 PM
16 साल बाद हाई कोर्ट ने चीनी और उड़द दाल की जब्ती रद्द की

छत्तीसगढ़' संवाददाता​
बिलासपुर, 13 सितंबर।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 16 साल पहले की गई चीनी और उड़द दाल की जब्ती को अवैध करार देते हुए आदेश निरस्त कर दिया। जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने बिलासपुर जिला मजिस्ट्रेट और सत्र न्यायालय के आदेशों को रद्द करते हुए कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6(बी) के तहत बिना नोटिस दिए जब्ती करना गैरकानूनी है।

मामला 24 अगस्त 2009 का है, जब खाद्य विभाग ने सुनील कुमार दयालानी की फर्म पर छापा मारा था। रजिस्टर में 1118 क्विंटल चीनी दर्ज थी, लेकिन मौके पर 2086.50 क्विंटल मिली। इस पर 1986.50 क्विंटल चीनी जब्त कर ली गई। इसी तरह 20 जनवरी 2010 को राजकुमार सिदाय की श्रीचंद दाल मिल की जांच हुई। रजिस्टर में 2370.52 क्विंटल उड़द दर्ज थी, जबकि मौके पर 4590 क्विंटल मिली। इसमें से 698.89 क्विंटल उड़द दाल जब्त कर ली गई।

व्यापारियों ने पहले अपील की, लेकिन 6 जुलाई 2012 को अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट का आदेश बरकरार रखा। इसके बाद दोनों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सीनियर एडवोकेट सुनील ओटवानी ने दलील दी कि जब्ती से पहले नोटिस देना जरूरी था, जो इस मामले में नहीं किया गया। उन्होंने एक पुराने मामले मुकेश हरियानी बनाम राज्य शासन का हवाला भी दिया, जिसमें इसी आधार पर जब्ती रद्द हो चुकी थी।

हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि धारा 6(बी) की प्रक्रिया अनिवार्य है, जिसमें नोटिस देना, लिखित आपत्ति लेना और व्यक्तिगत सुनवाई करना जरूरी है। बिना इन प्रक्रियाओं का पालन किए जब्ती करना व्यापार की संवैधानिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(जी)) का उल्लंघन है।

अदालत ने बिलासपुर कलेक्टर के 18 अप्रैल 2011 के आदेश और 6 जुलाई 2012 के सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए दोनों आपराधिक पुनरीक्षण याचिकाओं को मंजूर कर लिया। साथ ही स्पष्ट किया कि जब्ती की कार्रवाई करते समय अधिकारियों को कानूनी प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है।


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