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दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगों की साज़िश के मामले में अभियुक्त शरजील इमाम ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया है. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इमाम को ज़मानत देने से इनकार किया था.
यह मामला नागरिकता संशोधन क़ानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ा है.
इमाम पर आरोप है कि हिंसा भड़काने में उनका हाथ था.
हाई कोर्ट में जिनकी ज़मानत याचिकाएँ ख़ारिज हुई थीं उनमें शरजील इमाम और उमर ख़ालिद के साथ कुछ और लोग भी थे.
उमर ख़ालिद की ज़मानत याचिका इससे पहले एक बार साल 2022 में भी दिल्ली हाई कोर्ट से ख़ारिज हो गई थी.
दिल्ली हाई कोर्ट के सामने इन सभी अभियुक्तों ने अपने-अपने तर्क रखे. हालाँकि, इनमें कुछ बातें एक जैसी थीं.
सभी अभियुक्तों का कहना था कि मुक़दमा अब तक शुरू नहीं हुआ है. जिस गति से बहस चल रही है, इससे लगता है कि ये मुक़दमा काफ़ी लंबे समय तक चलेगा.
साथ ही, उन्होंने पुलिस के सबूतों पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि उन पर 'आतंकवाद' का केस नहीं बनता है.
उनका कहना था कि वे नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उसमें कुछ भी ग़ैर-कानूनी नहीं था.(bbc.com/hindi)