ताजा खबर

विकल्पों पर मंथन : बीआरएस, कांग्रेस या स्वतंत्र
दिनेश आकुला की विशेष रिपोर्ट-
हैदराबाद, 12 जुलाई। कुछ दिन पहले तक ठाकुर राजा सिंह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के तेलंगाना में हिंदुत्व का तेजतर्रार चेहरा माने जाते थे। अब वह बीजेपी के पूर्व नेता और हैदराबाद की गोशामहल सीट से मौजूदा विधायक हैं। हाल ही में उन्होंने तीन मिनट का एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने पार्टी में अपने 11 साल के सफर को याद किया — एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर तीन बार विधायक बनने तक की कहानी। हालांकि, इस वीडियो में उनकी आवाज़ में मायूसी साफ झलक रही थी। एक मीडिया मित्र ने उन्हें बताया कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है। सिंह ने कहा — “पार्टी ने मेरी बात सुनने की भी ज़हमत नहीं उठाई।”
हालांकि, इस झटके के बावजूद, सिंह ने साफ कर दिया कि न तो वह अपने विचारधारात्मक संघर्ष से पीछे हटेंगे और न ही सार्वजनिक जीवन से। उन्होंने ऐलान किया कि वह हिंदुत्व की लड़ाई, तथाकथित 'भारत विरोधी ताकतों' और 'लव जिहाद' के खिलाफ और ज्यादा आक्रामक होकर लड़ेंगे।
इस्तीफ़े की वजह और घटनाक्रम
पार्टी के अंदर कई हफ्तों से चल रही तनातनी के बाद राजा सिंह ने 30 जून को तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष किशन रेड्डी को इस्तीफ़ा सौंपा। वह इस बात से नाराज़ थे कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी गई। पार्टी हाईकमान ने एन रामचंदर राव को निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला किया, जो बीजेपी के संगठनात्मक चुनावों की पारंपरिक शैली है।
सिंह ने महसूस किया कि उन्हें लगातार नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। वह न केवल प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे, बल्कि विधानसभा में बीजेपी विधायक दल का नेता बनने की भी उनकी इच्छा थी, जो अंततः महेश्वर रेड्डी को दिया गया। मुसलमान बहुल पुराने शहर में अपने तीखे भाषणों और ज़मीनी पकड़ के लिए पहचाने जाने वाले सिंह के लिए ये फैसले किसी विश्वासघात से कम नहीं लगे।
जब उनका इस्तीफ़ा दिल्ली पहुंचा, तो कई लोगों को लगा कि केंद्रीय नेतृत्व उन्हें मनाने की कोशिश करेगा। लेकिन 11 जुलाई को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की चिट्ठी आ गई, जिसमें कहा गया कि राजा सिंह द्वारा दिए गए इस्तीफ़े के कारण “अप्रासंगिक” हैं और पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाते। इस्तीफ़ा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया।
राजनीतिक सफर और विवाद
राजा सिंह (48) ने अपना राजनीतिक सफर 2009 में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) से शुरू किया था। उन्होंने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में मंगलहाट से पार्षद का चुनाव जीता। 2013 में बीजेपी में शामिल हुए और 2014 में गोशामहल से विधायक बने। 2018 और 2023 में भी इस सीट को बनाए रखा।
तेलंगाना की राजनीति में उन्होंने पुराने शहर में हिंदुत्व के कट्टर समर्थक के रूप में अपनी पहचान बनाई, जहां उत्तर भारतीय और गुजराती हिंदुओं के साथ-साथ बड़ी मुस्लिम आबादी भी रहती है। उन्होंने हनुमान जयंती और गणेश चतुर्थी पर रैलियां निकालीं, खुद को हिंदुओं का रक्षक बताया और अपने समर्थकों के बीच ‘हिंदू हृदय सम्राट’ के नाम से मशहूर हुए।
हालांकि, उनका करियर विवादों से भरा रहा। अगस्त 2022 में उन्होंने कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के एक शो के दौरान इस्लाम पर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ अब तक 100 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, ज़्यादातर नफ़रत फैलाने वाले भाषणों के आरोप में। फिर भी, 2023 विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें पार्टी में वापस ले लिया गया और उन्होंने सीट बचा ली।
आगे के विकल्प
फिलहाल विधानसभा में उनकी स्थिति स्पष्ट नहीं है। उन्होंने अभी तक विधानसभा से इस्तीफ़ा नहीं दिया है और बीजेपी ने भी स्पीकर से उनकी अयोग्यता की मांग नहीं की है। राजनीतिक विश्लेषक उनके सामने तीन मुख्य विकल्प देखते हैं —
पहला, वह किसी दूसरी पार्टी के टिकट पर गोशामहल से उपचुनाव लड़ सकते हैं। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) उन्हें टिकट देने पर विचार कर सकती है, क्योंकि वहां हिंदू वोटरों में उनकी अच्छी पकड़ है।
दूसरा, वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, सीधे या उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के जरिए। इससे कांग्रेस उन्हें परोक्ष रूप से समर्थन दे सकती है और अपना उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारेगी, जिससे एंटी-बीजेपी वोट बंटने से बच जाएगा।
तीसरा, वह उपचुनाव न लड़कर मौजूदा विधायक बने रह सकते हैं और बीजेपी की ओर से उन्हें हटाने की किसी भी कोशिश का सामना कर सकते हैं। चूंकि विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस से हैं, इसलिए वे इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने की संभावना नहीं रखते।
उनकी विदाई बीजेपी के लिए आसान नहीं है। ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के आगामी चुनाव और जुबली हिल्स उपचुनाव से पहले पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका है। हालांकि, पार्टी के कुछ नेता राहत महसूस कर रहे हैं। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, “हम उनके नखरों से थक चुके थे। गोशामहल में थोड़ी मुश्किल ज़रूर होगी, लेकिन पार्टी तैयार है।”
इस समय राजा सिंह उत्तरी भारत में तीर्थ यात्रा पर हैं। वे जल्द ही अपने समर्थकों से मुलाकात करेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
उन्होंने स्पष्ट कहा है कि उनका संघर्ष जारी रहेगा। “मेरी लड़ाई भारत विरोधी ताकतों और लव जिहाद के खिलाफ और तेज़ होगी। मैं इस उद्देश्य के लिए पैदा हुआ हूं और इसे छोड़ूंगा नहीं।”