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भारत और बांग्लादेश के बीच मंगलवार को एक बार फिर से रिश्तों में असहजता सतह पर आ गई. दोनों देशों के बीच शब्दों में वार-पलटवार देखने को मिले.
पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने को लेकर बयान जारी कर चिंता जताई थी, उसके बाद बांग्लादेश ने भी इसका जवाब दिया.
भारत ने बांग्लादेश के चटगाँव में इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी के बाद जेल भेजने और ज़मानत नहीं मिलने पर बयान जारी किया था.
बयान में कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को हिन्दू समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.
बांग्लादेश ने भारत के बयान को बेबुनियाद बताया था.
चिन्मय कृष्ण दास के जेल भेजे जाने के अलावा चटगाँव में एक वकील की हत्या को लेकर भी काफ़ी विवाद हो रहा है. 32 साल के वकील सैफ़ुल इस्लाम की मंगलवार को चटगाँव कोर्ट परिसर में ही हत्या कर दी गई थी.
इसके बाद से इलाक़े में तनाव है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस ने वकील की हत्या की निंदा करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.
मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था, ''श्री चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी और ज़मानत नहीं मिलना चिंताजनक है. चिन्मय बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता भी हैं. इस घटना के अलावा बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर अतिवादियों ने कई हमले किए हैं.''
भारत के इस बयान के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी तत्काल जवाब दिया. बांग्लादेश ने कहा कि भारत ने उसके आंतरिक मामलों पर टिप्पणी की है.
बांग्लादेश ने कहा, ''इस तरह के बेबुनियाद बयान न केवल तथ्यों को ग़लत तरीक़े से पेश करते हैं बल्कि यह दोस्ती की भावना और दो पड़ोसी देशों की समझ के भी ख़िलाफ़ है.''
सैफुल इस्लाम की हत्या से विवाद
बांग्लादेश के अंग्रेज़ी अख़बार डेली स्टार के अनुसार, ''मंगलवार को चटगाँव में पुलिस और इस्कॉन मंदिर से जुड़े चंदन कुमार धर के समर्थकों के बीच झड़प हुई थी. इसी में सैफ़ुल इस्लाम अलिफ़ मारे गए थे. यह झड़प चटगाँव कोर्ट बिल्डिंग के पास हुई थी. चंदन कुमार धर चिन्मय कृष्ण दास के सहयोगी हैं.''
सैफुल चटगाँव कोर्ट में अस्टिटेंट पब्लिक प्रॉसिक्युटर थे.
इस झड़प में कई लोग ज़ख़्मी भी हुए हैं. ढाका ट्रिब्यून से चटगाँव मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इमर्जेंसी डिपार्टमेंट की डॉ निवेदिता घोष ने कहा कि घायलों का इलाज चल रहा है. घायलों में श्रीबास दास, शार्कु दास, छोटन, शुजीत घोष, उत्पल और इनामुल हक़ हैं.
चटगाँव लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नाज़िमुद्दीन चौधरी ने ढाका ट्रिब्यून से कहा कि प्रदर्शनकारियों ने वकील को उनके चेंबर से बाहर खींचकर निकाला था और पीट-पीटकर हत्या कर दी. मंगलवार दोपहर बाद चिन्मय को जेल भेजने का बाद हिंसक झड़प शुरू हो गई थी.
ढाका ट्रिब्यून ने लिखा है, ''कोर्ट के फ़ैसले के बाद सुरक्षा बल चिन्मय कृष्ण की वैन को कोर्ट कैंपस से जेल ले जाने में ख़ुद को अक्षम पा रहे थे क्योंकि वहाँ भारी भीड़ जमा हो गई थी. इसके बाद उन्हें पुलिस वैन से ले जाया गया. चिन्मय ने हाथ में माइक लेकर भीड़ को संबोधित किया और भीड़ से शांति बनाए रखने की अपील की. दोपहर बाद 2:45 बजे सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए आँसू गैस के गोले दागे. इसके बाद चिन्मय को जेल में शिफ्ट किया गया.''
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक़ मंगलवार को लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियां, वकील और चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों के बीच हुई झड़प में सैफुल मारे गए थे.
चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार दोपहर बाद हज़रत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट एरिया से गिरफ़्तार किया गया था.
चिन्मय दास पर राजद्रोह का मामला दर्ज है. मंगलवार को दास को चटगाँव कोर्ट ने बेल देने से इनकार करते हुए जेल भेज दिया था.
बांग्लादेश का इनकार
बांग्लादेश में शेख़ हसीना सरकार के जाने और अंतरिम सरकार के आने के बाद से अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
हालांकि हाल ही में भारत के अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू को दिए इंटरव्यू में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस ने कहा था कि इसमें सच्चाई नहीं है और यह झूठे प्रचार से ज़्यादा कुछ भी नहीं है.
मोहम्मद युनूस ने द हिन्दू से कहा था, ''16 अगस्त को पीएम मोदी से फोन पर मेरी पहली बातचीत हुई थी. पीएम मोदी ने भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ ख़राब व्यवहार की बात कही थी. मैंने उनसे स्पष्ट कहा था कि यह प्रॉपेगैंडा है. यहाँ कई पत्रकार आए और कई लोगों ने तनाव की बात कही लेकिन ऐसा नहीं है, जैसा कि मीडिया में कहा जा रहा है. मुझे नहीं पता है कि इस प्रॉपेगैंडा के पीछे कौन है लेकिन इसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं है.''
भारतीय मीडिया की आलोचना
मोहम्मद हसन वकील हैं और उस वक़्त चटगाँव कोर्ट कैंपस में ही मौजूद थे.
उन्होंने ढाका ट्रिब्यून से कहा, ''प्रदर्शनकारियों ने सैफुल अलिफ पर धारदार हथियार से हमला किया था और बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया. चटगाँव से डिप्टी पुलिस कमिशनर लियाक़त अली ने कहा है कि मामले की जांच चल रही है.''
मोहम्मद युनूस के सूचना सलाहकार नाहिद इस्लाम ने कहा है कि सैफुल के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलेगी.
नाहिद इस्लाम ने डेली स्टार से कहा, ''अंतरिम सरकार के पास जब से कमान आई है, तब से अल्पसंख्यकों की मांगों पर संवेदनशीलता से विचार किया गया है. हालांकि चिन्मय कृष्ण दास अलग-अलग रैलियों और बैठकों में उकसाऊ भाषण के ज़रिए सांप्रदायिक विभाजन बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे.''
नाहिद इस्लाम ने कहा, ''राजद्रोह के मुक़दमे के बावजूद चिन्मय कृष्ण लगातार बैठकें कर रहे थे. उनकी हरकत वैश्विक मीडिया को आकर्षित करने के लिए थी ताकि वह नई सरकार की नकारात्मक छवि पेश कर सकें. भारतीय मीडिया इस तरह के झूठे प्रॉपेगैंडा को फैलाने में शामिल है.''
नाहिद ने कहा, ''अवामी लीग की सरकार हमेशा सांप्रदायिक राजनीति में शामिल रहती थी और अल्पसंख्यकों का दोहन करती थी. अब इंडियन मीडिया भी इसी तरह का प्रॉपेगैंडा फैला रहा है. यहाँ के हिन्दू बांग्लादेश के नागरिक हैं और उनकी सुरक्षा यहाँ की सरकार सुनिश्चित करेगी.''
सैफुल इस्लाम अलिफ़ की हत्या को लेकर बांग्लादेश से तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया आ रही है. बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर डॉ. शैफिक़ुर रहमान ने बयान जारी कर, इस हत्या की कड़ी निंदा की है.
शफिक़ुर रहमान ने कहा, ''26 नवंबर को सैफुल इस्लाम की बर्बर हत्या निंदनीय है. एक समूह सत्ता से बेदख़ल हुई तानाशाह के समर्थन में बांग्लादेश को अस्थिर करने के लिए उल्टी-सीधी हरकतें कर रहा है. यह समूह उकसाऊ हरकतों के ज़रिए बांग्लादेश को अस्थिर करना चाहता है. बांग्लादेश के देशभक्त लोग पूरी तरह से एकजुट हैं. अतीत में भी इनकी कोशिशें नाकाम रही हैं.''
शफिक़ुर रहमान ने कहा, ''मैं नौजवान वकील सैफुल इस्लाम अलिफ़ की हत्या से बहुत दुखी हूँ. मैं अल्लाह से दुआ करता हूँ कि उनकी आत्म को शांति मिले.''
सैफुल की हत्या के विरोध में मंगलवार शाम बांदग्लादेश की राजधानी ढाका में मार्च भी निकाला गया था. बांग्लादेश के अंग्रेज़ी अख़बार ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक़ इस विरोध मार्च में सैकड़ों वकील शामिल हुए.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित. (bbc.com)