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सरकारी अस्पतालों की मशीनें केवल शो-पीस नहीं होनी चाहिए, अफसरों की जवाबदेही तय करे शासन- हाईकोर्ट
26-Nov-2024 11:59 AM
सरकारी अस्पतालों की मशीनें केवल शो-पीस नहीं होनी चाहिए, अफसरों की जवाबदेही तय करे शासन- हाईकोर्ट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 26 नवंबर। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में में जारी अव्यवस्थाओं को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और शासन को जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई में राज्य सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा गया है।

शासन की ओर से स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत किया। अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश अमितेंद्र किशोर प्रसाद की युगलपीठ को बताया कि अस्पताल में जांच सेवाओं को सुचारु बनाने के लिए रीएजेंट की कमी दूर करने हेतु टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वर्तमान में जिला अस्पताल में सेमी-ऑटोमैटिक मशीनों से जांच की जा रही है, जबकि सिम्स में भी जांच प्रक्रिया चालू है।

पिछले कई महीनों से बिलासपुर के सिम्स, जिला अस्पताल समेत प्रदेश के अन्य बड़े सरकारी अस्पतालों में थायराइड, खून और पेशाब जैसी आवश्यक जांच नहीं हो पा रही थीं। इसके चलते मरीजों को प्राइवेट लैब्स का सहारा लेना पड़ रहा था। हाईकोर्ट ने इन अव्यवस्थाओं को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका का दर्जा दिया।

कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अस्पताल की कई मशीनें या तो खराब हैं या उनमें रीएजेंट की कमी है। बायोकेमेस्ट्री मशीन के लिए 122 में से सिर्फ 36 रीएजेंट उपलब्ध कराए गए, जबकि हार्मोनल एनालाइजर के लिए 57 में से केवल 39 ही प्राप्त हुए। हाईकोर्ट ने इस पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्पतालों में खरीदी गई मशीनें सिर्फ शोपीस नहीं होनी चाहिएं। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि मशीनों का उपयोग हो और मरीजों को समय पर जांच रिपोर्ट मिले।

हाईकोर्ट ने शासन और स्वास्थ्य विभाग को अस्पतालों की सेवाओं पर निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच मशीनों की स्थिति, रीएजेंट की मांग और आपूर्ति का ब्योरा पेश किया जाए। अगली सुनवाई की तिथि 19 दिसंबर तय की गई है।

मालूम हो कि मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि जिला अस्पताल में आठ में से चार मशीनें खराब पड़ी हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में विस्तृत जानकारी मांगी थी, जिसमें प्रत्येक मशीन का नाम, कार्यक्षमता, रीएजेंट की मांग और आपूर्ति की तिथि शामिल है। अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही अस्वीकार्य है और इसे सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।
 


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