कोण्डागांव

मशरूम उत्पादन से जुडक़र युवाओं को मिली रोजगार की नई राह
04-Mar-2022 6:19 PM
मशरूम उत्पादन से जुडक़र युवाओं को मिली रोजगार की नई राह

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 4 मार्च। पुराने समय में जहां लोगों द्वारा कृषि को लाभप्रद व्यवसाय नहीं माना जाता है। वहां 3 मार्च को जिले के युवाओं द्वारा मिश्रित कृषि के तहत् पारम्परिक कृषि के साथ पशुपालन, मुर्गीपालन, मशरूम उत्पादन को जोडक़र कृषि से लाभ अर्जित किया जा रहा है। इसके लिए जिले के पढ़े-लिखे युवा भी नगरों की चकाचौंध को छोडक़र गांवों में जाकर स्वरोजगार के माध्यम से गांवों के विकास की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। ऐसे में केशकाल विकासखण्ड में आत्मा योजना के माध्यम से युवाओं को नई राह मिल रही है। जिसमें महिलाओं, अध्ययनरत् छात्र, पारम्परिक कृषक, स्नातकोत्तर युवा से लेकर शाला त्यागी युवा भी आगे आ रहे हैं। केशकाल के 10 कृषक व 5 बिहान महिला समूह सफलतापूर्वक मशरूम की कृषि कर रहे हैं।

खेतरपाल के महेश को मिला आय का नया साधन

केशकाल के छोटे से गांव खेतरपाल के युवा महेश कुमार मण्डावी के परिवार द्वारा कई सालों से पारम्परिक कृषि से जीविकोपार्जन किया जा रहा था। ऐसे में उन्हें अतिरिक्त आय के साधनों के साथ कुछ अलग करने की चाह थी। ऐसे में कृषि विभाग की ओर से बीटीएम नेहा मर्सकोले असिस्टेंट टेक्नोलॉजी मेनेजर साधना नेताम के द्वारा उन्हें कृषक मित्र बनकर मशरूम उत्पादन से जुडऩे की सलाह देते हुए उनके प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन, उत्पादन हेतु आवश्यक आदान सामग्री सहित अन्य सहायता उपलब्ध कराई गई। जिसके बाद उन्होने मशरूम उत्पादन प्रारंभ किया। महेश ने 4 हजार की लागत से जनवरी में उत्पादन प्रारंभ कर फरवरी तक 4500 रूपये की आय प्राप्त की है।

नयानार के सुकदेव पढ़ाई के साथ कर रहे मशरूम उत्पादन

नयानार में रहने वाले एग्रीकल्चर बीएससी तृतीय वर्ष के छात्र सुकदेव मरकाम को कृषि में रूचि के साथ इसे व्यवसाय के रूप में विकसित करने का निश्चय किया गया था। जिसके लिए उन्हें कोरोना काल में हो रही ऑनलाईन पढ़ाई के साथ अवसर प्राप्त हुआ। जिससे उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ मशरूम का उत्पादन प्रारंभ किया। इसके लिए सुकदेव द्वारा मशरूम उत्पादन 300 बैगों में प्रारंभ किया गया। जिसमें उन्हें कुल 9160 रूपयों की लागत से फरवरी में शुद्ध लाभ के रूप में 18220 रूपयों का लाभ प्राप्त हुआ। जिसे देखकर सुकदेव ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए युवाओं को मशरूम उत्पादन से जुडक़र मिश्रित कृषि अपनाने की अपील की है।

अविनाश और धनंजय बाईक पर जाकर कर रहे मशरूम का विक्रय

सिंघनपुर के अविनाश नाग व अरण्डी के धनंजय नेताम द्वारा स्नातक तक की पढ़ाई करने के बाद रोजगार के साधनों के लिए अपनी कृषि के प्रति लगाव के चलते आत्मा योजना के माध्यम से मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में जुडक़र इसका व्यापार प्रारंभ किया। इन दोनों ही युवाओं द्वारा प्रतिदिन बाईक से केशकाल आकर मशरूम का विक्रय करते हैं। दोनों ही युवा अपने रूचि के अनुसार स्वरोजगार कर विकास के रास्तों पर आगे बढ़ रहे हैं। धनंजय द्वारा गत वर्ष 6 हजार की लागत पर कुल 50 हजार रूपयों का लाभ अर्जित किया गया था वहीं अविनाश द्वारा 7500 का निवेश कर 70 हजार रूपयों का लाभ प्राप्त किया गया था।

स्नातकोत्तर के बाद परमेश्वरी ने चुनी स्वरोजगार की राह

केशकाल के कोरकोटी निवासी परमेश्वरी प्रधान ने केशकाल स्थित महाविद्यालय से कला संकाय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद किसी अन्य के लिए काम करने से बेहतर स्वरोजगार करने की ठानी। ऐसे में आत्मा योजना के बारे में कृषक मित्रों से खुले बाजार में 200 रूपये प्रति किलो तक मशरूम के विक्रय की जानकारी दी। जिसपर उन्होंने मशरूम उत्पादन के साथ कृषक मित्र बनकर अतिरिक्त आय अर्जित करते हुए ग्रामीणों को भी प्रेरित करना प्रारंभ किया। जिसके उपरांत वह लगातार 02 वर्षों से मशरूम की कृषि का कार्य कर रही हैं।

इस संबंध में कृषि विभाग के सहायक संचालक उग्रेश देवांगन ने बताया कि मशरूम उत्पादन के माध्यम से जिले के कई युवा कृषकों द्वारा पारम्परिक कृषि के साथ अतिरिक्त आय अर्जित की जा रही है। जिसके माध्यम से इन युवाओं ने ना सिर्फ अपनी अलग पहचान बनाई है। बल्कि इन्हें स्वरोजगार की नई राह भी प्राप्त हुई है।


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