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ब्रिटेन लागू कर रहा अब तक का सबसे कड़ा शरणार्थी कानून
16-Nov-2025 8:32 PM
ब्रिटेन लागू कर रहा अब तक का सबसे कड़ा शरणार्थी कानून

ब्रिटेन की लेबर सरकार ने शरणार्थी कानूनों को कड़ा बनाने का फैसला किया है. देश में बढ़ते धुर-दक्षिणपंथी प्रभाव और शरणार्थियों के खिलाफ लगातार जारी प्रदर्शनों के बीच यह फैसला लिया गया है.

 डॉयचे वैले पर अविनाश द्विवेदी का लिखा-

ब्रिटेन की लेबर सरकार ने देश की शरणार्थी नीति में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव किया है. नई नीति के तहत किसी भी व्यक्ति को मिलने वाला शरणार्थी का दर्जा तुरंत स्थायी नहीं होगा, बल्कि यह अस्थायी रहेगा. पाकिस्तानी मूल की ब्रिटेन की गृह मंत्री शबाना महमूद ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि समय-समय पर शरणार्थियों के शरणार्थी दर्जे की समीक्षा भी की जाएगी. उन्होंने यह भी साफ किया है कि किसी व्यक्ति को ब्रिटेन में स्थायी रूप से बसने की अनुमति मिलने में अब 20 साल तक लग सकते हैं, यानी यह इंतजार अभी के मुकाबले चार गुना बढ़ सकता है.

ये बदलाव ऐसे समय में किए गए हैं जब ब्रिटेन में धुर-दक्षिणपंथी पार्टी रिफॉर्म यूके की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और शरणार्थी लोगों की सबसे बड़ी चिंता बने हुए हैं. लेबर सरकार पर दबाव है कि वह छोटी नावों के जरिए ब्रिटेन में गैर-कानूनी तरीके से दाखिल होने वाले लोगों और उन्हें शरण देने की वर्तमान प्रणाली पर सख्ती दिखाए.

शरणार्थियों के लिए आर्थिक मदद पर भी कड़ाई

नई नीति में यह भी शामिल है कि जो लोग काम कर सकते हैं लेकिन काम नहीं कर रहे या कानून तोड़ते हैं, उनकी सरकारी मदद कम या बंद की जा सकती है. इसके तहत रहने के लिए मिलने वाले पैसे और साप्ताहिक भत्ते जैसी सुविधाएं में भी कटौती की जा सकती है. सरकार का कहना है कि टैक्स चुकाने का पैसा उन लोगों पर खर्च होना चाहिए जो काम कर रहे हैं और समाज में योगदान दे रहे हैं.

सरकार ने कहा है कि अगर किसी शरणार्थी का देश यानी जहां से वह आया है, वह बाद में सुरक्षित मान लिया गया, तो उससे शरणार्थी दर्जा वापस भी लिया जा सकता है. इसलिए हर ढाई साल में शरणार्थियों की स्थिति की समीक्षा होगी, ताकि तय किया जा सके कि वे ब्रिटेन में रह सकते हैं या नहीं.

डेनमार्क की नीति पर आधारित

इस नीति का मॉडल डेनमार्क की से लिया गया है, जहां शरणार्थियों को अस्थायी तौर पर रहने दिया जाता है और हर दो साल में उनकी जांच होती है. डेनमार्क ने इन नीतियों के बाद शरणार्थी दर्जे की मांग में बड़ी कमी देखी है. अब ब्रिटिश सरकार का कहना है कि ब्रिटेन भी इसी दिशा में जाना चाहता है.

हालांकि, ब्रिटेन में 100 से ज्यादा चैरिटी और अधिकार समूहों ने इन कदमों की आलोचना की है. उनका कहना है कि इन फैसलों से शरणार्थियों को डर और अनिश्चितता में धकेला जा रहा है और समाज में गुस्सा और हिंसा बढ़ रही है. चैरिटी समूहों ने सरकार पर "शरणार्थियों को निशाना बनाने” का आरोप लगाया है.

ब्रिटेन में हुए कई शरणार्थी विरोधी प्रदर्शन

मार्च 2025 से पहले के एक साल में ब्रिटेन में 1 लाख से ज्यादा लोगों ने शरण के लिए आवेदन किया, जो इससे एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 17% ज्यादा था. पिछले दिनों ब्रिटेन में कई जगहों पर ऐसे होटलों के बाहर प्रदर्शन भी हुए हैं, जहां शरणार्थियों को सरकारी खर्च पर ठहराया गया है.

सरकार का कहना है कि वह आगे "सुरक्षित और कानूनी" रास्तों से आने वाले लोगों के लिए अधिक विकल्प खोलेगी, लेकिन जो लोग गैर-कानूनी तरीकों से आ रहे हैं, उनके लिए नियम और भी सख्त किए जाएंगे. (dw.comhi)


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