अंतरराष्ट्रीय
- नवीन सिंह खडक़ा, एंतोनियो क्यूबेरो और विजुअल जर्नलिज्म टीम
इस साल का संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप30) ब्राज़ील के उत्तरी शहर बेलेम में हो रहा है। इसे अक्सर दुनिया के सबसे बड़े वर्षावन अमेजन का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
यह एक प्रतीकात्मक स्थान है। दुनिया भर के देश पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन के दस साल बाद बेलेम में जमा हो रहे हैं। पेरिस में एक ऐतिहासिक समझौता हुआ था जिसका मकसद धरती को गर्म करने वाली गैसों के उत्सर्जन को सुरक्षित सीमा तक रोकना था। लेकिन अब तक ये प्रयास सफल नहीं हुए हैं, क्योंकि उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है।
यही वजह है कि पर्यावरण से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाले अमेजऩ के जंगल, इस स्थिति को सुधारने के उपायों में अहम भूमिका निभाने वाले हैं।
लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि दशकों से हो रही वनों की कटाई और अब जलवायु प्रभावों के कारण, अमेजऩ का भविष्य ख़ुद ही अनिश्चित हो गया है। जिस पारा राज्य की राजधानी बेलेम है, वहां वर्षावन के विनाश का स्तर पूरे अमेजऩ में सबसे ज़्यादा है।
इसी वजह से बीबीसी अमेजऩ की मौजूदा स्थिति और उन ख़तरों पर गहराई से नजर डाल रहा है, जिनका उसे सामना करना पड़ रहा है।
ब्राज़ील के हिस्से में अमेजन का लगभग 60 फीसदी इलाका आता है। ब्राजील का कहना है कि वह उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की मजबूत सुरक्षा के लिए एक नया समझौता करवाने की कोशिश करेगा।
उष्णकटिबंधीय वर्षावन ज़्यादातर भूमध्य रेखा के पास पाए जाते हैं। यहां ऊंचे, ज़्यादातर सदाबहार पेड़ होते हैं।
दुर्लभ प्रजातियों का ठिकाना
अमेजन में सिर्फ जंगल ही नहीं, बल्कि दलदल और सवाना यानी घास के मैदान भी हैं। यह दक्षिण अमेरिका के 67 लाख वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा क्षेत्र में फैला है, जो भारत के आकार से दोगुना बड़ा है। यह धरती के सबसे समृद्ध और जैव विविधता वाले इलाकों में से एक है।
इसमें शामिल हैं:-
कम से कम 40,000 पौधों की प्रजातियां, 427 स्तनपायी प्रजातियां
पक्षियों की 1,300 प्रजातियाँ, जिनमें हार्पी ईगल और टूकान शामिल हैं
हरी इगुआना से लेकर ब्लैक कैमन तक 378 सृप प्रजातियां
400 से ज़्यादा उभयचर प्रजातियां, जिनमें डार्ट पॉयजऩ फ्रॉग और स्मूथ-साइडेड टोड शामिल हैं
और लगभग 3,000 मीठे पानी की मछलियों की प्रजातियां, जिनमें पिरान्हा और विशाल अरपाइमा शामिल हैं, जिसका वजऩ 200 किलोग्राम तक हो सकता है।
इनमें से कई प्रजातियां दुनिया में और कहीं नहीं पाई जातीं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में सैकड़ों मूलनिवासी समुदाय रहते हैं।
अमेजऩ दुनिया की सबसे बड़ी नदी है। अपनी 1,100 से ज़्यादा सहायक नदियों के साथ यह धरती पर मीठे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है। यह पानी अटलांटिक महासागर में जाकर मिलता है और समुद्री धाराओं को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
अमेजन के जंगल एक बड़ा-सा कार्बन सिंक हैं। हालांकि अब अमेजऩ के कुछ हिस्सों में पेड़ों के कटने और भूमि के खराब होने की वजह से यह देखा गया है कि वे जितना कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं, उससे ज़्यादा उत्सर्जित कर रहे हैं।
अमेजन भोजन और दवाओं का भी एक प्रमुख स्रोत है। यहां धातुओं, ख़ासकर सोने के लिए खनन किया जाता है।
यह क्षेत्र तेल और गैस का भी एक बड़ा उत्पादक बन सकता है। जंगलों के बड़े हिस्से के नष्ट होने से यह लकड़ी का एक बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है।
अमेजऩ में क्या हो रहा है?
तापमान में तेज़ बढ़ोतरी और लंबे समय तक चले सूखे ने अमेजऩ के प्राकृतिक संतुलन पर गहरा असर डाला है।
आमतौर पर नम रहने वाला यह जंगल अब ज़्यादा सूखा हो गया है और आग के प्रति अधिक संवेदनशील बन गया है।
उदाहरण के तौर पर, ब्राज़ील की अंतरिक्ष एजेंसी आईएनपीई के अनुसार सितंबर 2024 में ब्राजीलियाई अमेजऩ में 41,463 जगहों पर आग के हॉटस्पॉट दर्ज किए गए। यह 2010 के बाद सितंबर महीने में दर्ज की गई सबसे ज़्यादा संख्या थी।
अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी में 'इकोसिस्टम कार्बन कैप्चर’ के एसोसिएट प्रोफ़ेसर पाउलो ब्रांडो कहते हैं, ‘हम सूखे और आग की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी देख रहे हैं और इसके कारण अमेजन के कई हिस्सों में क्षरण बढ़ गया है।’
वह आगे कहते हैं, ‘कई क्षेत्रों में यह क्षरण अब अमेजन के लिए एक बड़ा ख़तरा बनकर सामने आ रहा है।’
फ़्लाइंग रिवर्स पर असर
समस्या यहीं से शुरू होती है। विशाल अमेजऩ क्षेत्र में अपनी ख़ुद की मौसम प्रणालियां हैं।
इसके जंगल अटलांटिक महासागर से आने वाली नमी को सर्कुलेट करते हैं, जिन्हें आकाश में बहने वाली ‘हवाई नदियां’ या ‘फ्लाइंग रिवर्स’ कहा जाता है।
ये वायुमंडलीय नदियां सबसे पहले अमेजऩ के पूर्वी हिस्से में, यानी अटलांटिक के पास बारिश करती हैं। इसके बाद ज़मीन और पेड़ों से पानी भाप बनकर ऊपर उठता है, जो वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया से हवा में फैलता है और वर्षावन के दूसरे हिस्सों पर गिरने से पहले पश्चिम की ओर बढ़ता है।
वर्षावन के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पानी का यह चक्र पूरे अमेजऩ में चलता है। यही बताता है कि यह विशाल वर्षावन इतने लंबे समय तक कैसे फलता-फूलता रहा है।
वायुमंडलीय नदियां वास्तव में जलवाष्प की नदियां हैं, जो आसमान में पानी को लाती-ले जाती हैं।
हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अब अमेजऩ में नमी का यह प्राकृतिक संतुलन टूट गया है।
जिन हिस्सों में जंगलों की कटाई हुई है या ज़मीन का क्षरण हुआ है, वे महासागर से आने वाली नमी को पहले की तरह सर्कुलेट नहीं कर पा रहे हैं। नतीजतन, जमीन और पेड़ों से वाष्प बनकर हवा में लौटने वाली नमी की मात्रा बहुत कम हो गई है।
अमेजन कंजर्वेशन के वैज्ञानिक और ‘फ्लाइंग रिवर्स और अमेजन के भविष्य’ पर हालिया रिपोर्ट के सह-लेखक मैट फाइनर कहते हैं, ‘नमी को सर्कुलेट करने वाली जो छोटी-छोटी मौसम प्रणालियां पहले पूरे अमेजऩ में आपस में जुड़ी हुई थीं, वे अब टूट चुकी हैं।’
उनका कहना है कि इसका सबसे बुरा असर पश्चिमी अमेजऩ में पड़ा है, जो अटलांटिक महासागर से सबसे दूर है, ख़ासकर दक्षिणी पेरू और उत्तरी बोलीविया के इलाकों में।
वह कहते हैं, ‘पेरू और बोलीविया के वर्षावनों का अस्तित्व वास्तव में पूर्व में स्थित ब्राज़ील के जंगलों पर निर्भर करता है। अगर ये जंगल नष्ट हो जाते हैं, तो 'फ्लाइंग रिवर्स’ बनाने वाला जल चक्र टूट जाएगा और नमी पश्चिमी अमेजऩ तक नहीं पहुंच पाएगी। यह सब आपस में जुड़ा हुआ है।’
यह समस्या जून से नवंबर तक चलने वाले शुष्क मौसम में सबसे गंभीर रूप ले लेती है।
निर्णायक मोड़
पहले अमेजऩ का यह भीगा और नम वर्षावन, जंगल की आग के प्रति काफी मज़बूत था। लेकिन जिन इलाकों में बारिश कम हो गई है, वहां यह प्रतिरोध धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रहा है।
कुछ वैज्ञानिकों को आशंका है कि सूखते हुए वर्षावन अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गए हैं, जहां से यह दोबारा उबर नहीं पाएंगे। इनके हमेशा के लिए नष्ट होने का ख़तरा है।
मैट फाइनर कहते हैं, ‘निर्णायक बदलाव के शुरुआती संकेत हमें अमेजन के कुछ हिस्सों में दिख रहे हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफर्ड़ के ‘इकोसिस्टम्स लैब’ में सीनियर रिसर्च एसोसिएट एरिका बेरेनगुएर भी मानती हैं कि ख़तरा लगातार बढ़ रहा है। फ़ाइनर की तरह वह भी कहती हैं कि कुछ हिस्से बाकी क्षेत्रों की तुलना में ज़्यादा प्रभावित हैं। वह कहती हैं, ‘यह एक बहुत धीमी प्रक्रिया है, जो कुछ खास इलाकों में हो रही है।’
पानी का संकट
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेजन के आसमान में नमी के कम सर्कुलेशन का असर सिर्फ जंगल की सेहत पर ही नहीं, बल्कि अमेजऩ और उसकी कई सहायक नदियों पर भी गहराई से पड़ रहा है।
पिछले कुछ सालों में अमेजऩ बेसिन की कई नदियों में जलस्तर रिकॉर्ड स्तर तक नीचे चला गया है। 2023 में यहां पिछले 45 साल का सबसे भयानक सूखा पड़ा था।
2023 और 2024 के शुरुआती महीनों में सूखे की यह स्थिति आंशिक रूप से ‘एल नीनो’ के कारण बनी थी। यह एक प्राकृतिक मौसम प्रणाली है जिसमें पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान बढ़ जाता है। इसका असर पूरी दुनिया के बारिश के पैटर्न पर पड़ता है, ख़ासकर दक्षिणी अमेरिका में।
माइनिंग की चुनौती
जंगलों की कटाई और जलवायु संकट से होने वाला नुक़सान ही काफ़ी नहीं था कि अब अवैध खनन, ख़ासकर सोने के खनन ने भी अमेजऩ को भारी नुकसान पहुँचाया है।
एरिका बेरेनगुएर कहती हैं, ‘अब इस क्षेत्र में रेयर अर्थ खनिजों के लिए भी खनन शुरू हो गया है।’
ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों, मोबाइल फ़ोन और उपग्रहों में इस्तेमाल होते हैं, इसलिए आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए बेहद ज़रूरी हैं।
हालांकि खनन से बहुत बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई नहीं होती, लेकिन यह पारे जैसे रसायनों से नदियों, मिट्टी और पेड़ों को प्रदूषित कर देता है। आगे चलकर यही ज़हर जानवरों और इंसानों दोनों के लिए घातक बन सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध खनन करने वालों और संगठित अपराध के नेटवर्क के बीच संबंध लगातार बढ़ रहे हैं। इनमें हथियार और बंदूक की तस्करी करने वाले गिरोह भी शामिल हैं।
मैट फाइनर कहते हैं, ‘आपराधिक नेटवर्क पूरे अमेजऩ में फैल चुका है, जिससे प्रशासन के लिए ज़मीनी स्तर पर नियंत्रण बनाए रखना बेहद मुश्किल हो गया है।’
अमेजऩ आठ देशों में फैला हुआ है और हर देश के अपने कानून और उन्हें लागू करने का अपना तरीका है। यही वजह है कि सीमा-पार अपराधों से निपटना बेहद कठिन हो जाता है।
चिंता की एक और वजह यह है कि अमेजऩ के नीचे बड़ी मात्रा में हाइड्रोकार्बन पाए गए हैं।
इन्फोअमेज़ोनिया के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच लगभग 5,3 अरब बैरल के बराबर तेल के भंडार खोजे गए हैं। इसका कहना है कि इस क्षेत्र में दुनिया के हाल ही में खोजे गए तेल भंडारों का लगभग पांचवां हिस्सा मौजूद है, जिससे यह जीवाश्म ईंधन उद्योग के लिए एक नया केंद्र बन गया है।
इन भंडारों की खोज से पहले ही, और ‘फ्लाइंग रिवर्स’ पर ताज़ा रिसर्च से पहले, साइंस पैनल फॉर द अमेजऩ की रिपोर्ट में दिखाया गया था कि वर्षावन के विनाश के कारण 10,000 से ज़्यादा पौधों और जानवरों की प्रजातियां विलुप्त होने के गंभीर ख़तरे में हैं।
इलाके के लिए ही नहीं, दूर तक है अहमियत
अमेजऩ अब भी एक मज़बूत कार्बन सिंक है, जो धरती को गर्म करने वाली मुख्य गैस कार्बन डाइऑक्साइड (ष्टह्र2) की भारी मात्रा को अवशोषित करने की क्षमता रखता है।
2024 में जारी ‘मॉनिटरिंग ऑफ द एंडीज अमेजऩ प्रोग्राम’ (एमएएपी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक अमेजन की जमीन के ऊपर और नीचे लगभग 71.5 अरब मीट्रिक टन कार्बन जमा था।
यह मात्रा 2022 के स्तर पर वैश्विक ष्टह्र2 उत्सर्जन के लगभग दो साल के बराबर है।
लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से इस बात का ख़तरा बढ़ रहा है कि क्षेत्र के और हिस्से अब कार्बन सोखने के बजाय उत्सर्जन करने लगें।
उनका कहना है कि अगर अमेजऩ को खो दिया गया, तो यह जलवायु संकट के खिलाफ लड़ाई हारने जैसा होगा।
उष्णकटिबंधीय वन बादलों की एक परत बनाते हैं, जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर अंतरिक्ष में भेज देती है और धरती को ठंडा बनाए रखने में मदद करती है। जब तक यह प्रक्रिया जारी रहती है, यह पृथ्वी के गर्म होने की रफ्तार को धीमा करती है।
ब्राजीलियाई वन वैज्ञानिक टासो अजेवेदो कहते हैं, ‘जिस तरह अमेजन जैसे उष्णकटिबंधीय वन कार्बन को सोखकर धरती के तापमान को सीमित रखते हैं, उसी तरह उनमें ग्रह को ठंडा करने की क्षमता भी होती है।’
वह कहते हैं, ‘इसीलिए इस गर्म होती दुनिया के लिए अमेजऩ एक विशाल एयर कंडीशनर की तरह है।’
जैसा पहले बताया गया है, दुनिया के सबसे बड़े मीठे पानी के बेसिन का वैश्विक जलवायु पर भी गहरा असर पड़ता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि मीठे पानी का विशाल प्रवाह अटलांटिक महासागर की धाराओं को दिशा देने में मदद करता है, और इस प्रवाह में कोई भी बदलाव समुद्री धाराओं के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मौसम प्रणालियों को भी प्रभावित कर सकता है। (bbc.com/hindi)


