अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को तीन मई तक के लिए अग्रिम जमानत दे दी.
इस महीने की शुरुआत में मजिस्ट्रेट मंज़ूर अहमद ख़ान ने इस्लामाबाद के रमना पुलिस थाने में इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
उनका आरोप था, "पूर्व प्रधानमंत्री संस्थाओं और लोगों के बीच नफ़रत फैला रहे हैं. और संस्थाओं और उनके शीर्ष अधिकारियों को नुक़सान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं."
एफ़आईआर में आरोप है कि 19 मार्च को ख़ान ने ज़मान पार्क स्थित आवास पर दिए भाषण में आईएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के ख़िलाफ़ कई आरोप लगाए और कथित तौर पर उनका 'चरित्र हनन' किया.
ख़ान ने आज इस्लामाबाद हाई कोर्ट में बेल की अपील की थी.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) प्रमुख कड़ी सुरक्षा के बीच इस मामले के लिए लाहौर से इस्लामाबाद आए.
इस दौरान बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी जुटे थे. ख़ान ने एक ट्वीट में कहा कि पुलिस ने उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया.
उन्होंने ट्वीट किया, ' हमारे समर्थक शांतिपूर्वक अपनी गाड़ियों में बैठे थे, लेकिन आईसीटी पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. वे चाहते हैं कि चुनाव में देरी हो ताकि वो जेल का डर दिखाकर और परेशान करके पीटीआई के लोगों को तोड़ सकें. लेकिन ऐसा होगा नहीं.''
समाचार पत्र डॉन की एक ख़बर के अनुसार, ख़ान ने कोर्ट में पत्रकारों से अनौपचारिक तौर पर बातचीत की.
ख़ान ने बताया कि उन्होंने फ़वाद चौधरी और शाह महमूद क़ुरैशी से कहा है कि सरकार अगर चुनाव कराने को तैयार हो तभी उनसे कोई बातचीत करें.
ख़ान ने चौधरी और क़ुरैशी की मौज़ूदगी में कहा, ''अगर वे सितंबर और अक्टूबर में चुनाव कराने पर जोर देते हैं तो बातचीत में आगे बढ़ने का कोई मतलब नहीं है.''
क़ुरैशी और चौधरी पीटीआई के तीन सदस्यों वाली उस टीम का हिस्सा हैं जो विवाद को हल करने और चुनाव कराने के लिए सरकार से बातचीत कर रहे हैं.
पीटीआई राज्यों में चुनाव कराने पर जोर दे रही है जबकि संघीय सरकार देश में एक ही साथ चुनाव कराना चाहती है.
इस साल अगस्त में नेशनल असेंबली के पांच साल पूरे हो जाएंगे.
संविधान के अनुसार, नेशनल असेंबली भंग होने के 90 दिन के भीतर चुनाव का आयोजन होना चाहिए.
इसका मतलब है कि चुनाव मध्य अक्टूबर में आयोजित होंगे. पिछला चुनाव जुलाई 2018 में आयोजित हुआ था. (bbc.com/hindi)