अंतरराष्ट्रीय

फ़्रांस, 24 अप्रैल । फ़्रांस में चीन के राजदूत ने पूर्व सोवियत देशों की संप्रभुता पर सवाल उठाया है.
चीनी राजदूत लू शाये ने कहा कि ऐसे देशों के पास अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत प्रभावी स्थिति नहीं है.
द टेलीग्राफ अख़बार के मुताबिक़ उनके इस बयान पर फ़्रांस ने रविवार को निराशा जताई है.
अख़बार के मुताबिक़ फ़्रांस के एक न्यूज़ चैनल पर उनसे पूछा गया कि क्या वे क्राइमिया को यूक्रेन का हिस्सा मानते हैं? इसके जवाब में चीनी राजदूत ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से क्राइमिया रूस का हिस्सा था और सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव ने इसे यूक्रेन को दिया था.
रूस ने 2014 में क्राइमिया पर हमला कर इसे यूक्रेन से छीन लिया था. बाद में रूस ने क्राइमिया को ख़ुद में मिला लिया था.
शुक्रवार को हुए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सोवियत संघ के पतन के बाद उभरे देशों के पास अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत वास्तविक स्थिति नहीं है. ऐसे देशों के लिए संप्रभु राष्ट्र के तौर पर उनकी स्थिति की पुष्टि करने वाला कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता नहीं है.
गार्डियन न्यूज वेबसाइट के मुताबिक़ चीनी राजदूत लू का बयान फ़रवरी में जारी यूक्रेन पर चीन की स्थिति से अलग दिखाई दे रहा है. तब चीन ने कहा था कि वह सभी छोटे बड़े देशों की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने का वादा करता है.
फ़्रांस में यूक्रेन के राजदूत वडिम ओमेलचेंको ने चीनी राजदूत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि ऐसे बयान के लिए कोई जगह नहीं है. क्राइमिया यूक्रेन है. सोवियत संघ अब बचा नहीं है और समय काफ़ी आगे बढ़ गया है.
अख़बार के मुताबिक़ फ़्रांस ने पलटवार करते हुए ऐसे देशों के साथ अपनी एकजुटता दिखाई और कहा कि उन्होंने दशकों के उत्पीड़न के बाद अपनी स्वतंत्रता हासिल की है.
फ़्रांस के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि क्राइमिया और ख़ासकर यूक्रेन को 1991 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी गई थी, जिसमें चीन भी शामिल था.
प्रवक्ता ने कहा कि चीन को ये साफ़ करना होगा कि ये बयान उसकी आधिकारिक स्थिति को बताता है या नहीं.
सोवियत संघ के पतन के बाद उभरे देश एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया ने भी फ़्रांस की तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीन पर पलटवार किया है.
गार्डियन न्यूज वेबसाइट के मुताबिक लातविया के विदेश मंत्री एडगर रिंकेविक्स ने चीन से अपना बयान पूरी तरह से वापस लेने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि ब्रसल्स में यूरोपीय विदेश मंत्रियों की बैठक में यूरोपीय संघ इस मामले में मिलकर और कड़ी प्रतिक्रिया देगा.
एस्टोनिया के विदेश मंत्रालय ने अपने देश देश की संप्रभुता पर चीन की स्थिति को साफ़ करने के लिए राजदूत को तलब किया. उन्होंने चीनी राजदूत के बयान को समझ से परे बताया है.
एस्टोनिया का कहना है कि 1994 से ही चीन ने बुडापेस्ट मेमोरेंडम समझौते को मान्यता दी हुई है. इस समझौते के तहत रूस ने यूक्रेन की सीमाओं को स्वीकार किया है और बदले में यूक्रेन ने सोवियत युग के परमाणु हथियारों को सौंपने पर सहमत हुआ था.
लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रियलियस लैंड्सबर्गिस ने कहा कि चीनी राजदूत के बताते हैं कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
लिथुआनिया ने भी चीनी राजदूत को तलब किया है. (bbc.com/hindi)