अंतरराष्ट्रीय

ट्विटर डील पूरी करने के लिए तय आख़िरी तारीख़ पर एलन मस्क ने अपने ट्वीट से साफ़ कर दिया है कि कंपनी अब उनके नाम हो गई है.
इस बीच अमेरिकी मीडिया में ये ख़बरें भी आ रही हैं कि ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल सहित दो अन्य अधिकारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.
भारत में जन्में पराग अग्रवाल को बीते साल नवंबर में ही ट्विटर का सीईओ नियुक्त किया गया था. हालांकि, वो साल 2011 से ही ट्विटर कंपनी में काम कर रहे थे.
अग्रवाल ने ट्विटर के सह-संस्थापक और सीईओ रहे जैक डोर्सी की जगह ली थी. डोर्सी ने ही ट्विटर पर पराग अग्रवाल के चुने जाने की जानकारी दी थी और ये भी बताया था कि किन ख़ूबियों के कारण अग्रवाल को इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गई.
हालांकि, इस साल अप्रैल में एलन मस्क के ट्विटर खरीदने के एलान के बाद से ही पराग अग्रवाल की कंपनी में भूमिका को लेकर कयासबाज़ी जारी थी. माना जाता है कि एलन मस्क और पराग अग्रवाल के बीच कई मुद्दों पर सहमति न बन पाने से ये स्थिति पैदा हुई.
मुंबई में जन्में पराग अग्रवाल ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में ग्रैजुएशन किया. इसके बाद साल 2005 में वो अमेरिका गए और वहां स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस विषय में ही पीएचडी की.
पराग अग्रवाल की मां रिटायर्ड स्कूल टीचर हैं और उनके पिता परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में काम करते थे. पराग अग्रवाल ने भी मुंबई के सेंट्रल स्कूल में पढ़े हैं.
यहां अग्रवाल डेटाबेस पर काम करने वाले एक रिसर्च ग्रुप में शामिल हो गए.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने पराग अग्रवाल की थीसीस में मदद करने वाले रिसर्च लैब चीफ़ जेनिफ़र वाइडम के हवाले से एक लेख में बताया था कि स्टैनफ़र्ड में पढ़ाई के दौरान ही पराग को उनके विषय पर अच्छी पकड़ के लिए जाना जाता था.
उन्हें मैथ्स और थ्योरी दोनों की ही अच्छी जानकारी थी. वो कहती हैं कि डेटाबेस पर फ़ोकस ने पराग अग्रवाल को ट्विटर में काम करने के लिए एक बड़ा दावेदार बना दिया.
अपनी पीएचडी पूरी होने से पहले ही पराग अग्रवाल ने साल 2011 में ट्विटर जॉइन किया और यहाँ वो इंजीनियरिंग टीम का एक अहम हिस्सा बन गए, जिनका काम कंपनी की एडवर्टाइज़िंग टेक्नोलॉजी संभालना था. उस समय कंपनी में महज़ 1000 कर्मचारी थे.
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इसके बाद पराग अग्रवाल ट्विटर के निर्माण के लिहाज़ से सबसे अहम माने जाने वाले एक समूह के सदस्य बनाए गए. ये कंपनी की टॉप इंजीनियरों की टीम थी जो ट्विटर के आने वाले प्रोजेक्ट्स की समीक्षा और सुधार का काम देखती थी.
कंधे पर अहम ज़िम्मेदारियों के बावजूद पराग अग्रवाल हमेशा ख़बरों से दूर रहे. साल 2017 में उन्हें कंपनी ने चीफ़ टेक्नोलॉजी ऑफ़िसर बनाया. इस पद पर रहते हुए उन्होंने ट्विटर की तकनीकी रणनीति बनाने और सॉफ़्टेवयर डेवलेपमेंट का काम संभाला.
ट्विटर के साथ काम शुरू करने से पहले पराग अग्रवाल माइक्रोसॉफ़्ट, याहू और यूएस में टेलीकॉम क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एटी एंड टी में भी काम कर चुके हैं.
जैक डोर्सी ने पिछले साल ट्विटर के सीईओ पद से इस्तीफ़े के एलान के बाद बताया था कि कंपनी के हर अहम फ़ैसले के पीछे पराग अग्रवाल रहे हैं. वो क़ाफ़ी उत्सुक, खोजबीन करने वाले, तार्किक, रचनात्मक, महत्वाकांक्षी, जागरूक और विनम्र हैं.
उन्होंने लिखा था, "वो दिल और आत्मा से टीम का नेतृत्व करते हैं. वो ऐसे हैं कि मैं उनसे रोज कुछ सीखता हूं. सीईओ के रूप में मेरा उन पर बहुत भरोसा है."
अमेरिकी मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक़, ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल समेत दो अन्य वरिष्ठ मैनेजरों को नौकरी से हटा दिया गया है जिनमें कंपनी की लीगल हेड विजया गडे भी शामिल हैं.
47 वर्षीय गडे सिलिकॉन वैली का एक जाना-माना नाम है. कहा ये भी जाता है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर अकाउंट पर रोक लगाने के पीछे भी विजय गडे की अहम भूमिका थी.
हैदराबाद में जन्मीं विजया गडे अमेरिका के टेक्सस में पली-बढ़ीं. उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ लॉ से पढ़ाई की. विजया गडे ने भी साल 2011 में ही ट्विटर जॉइन किया था.
ट्विटर में विजया गडे का काम कंटेंट मॉडरेशन और इस प्लेटफॉर्म की सेफ़्टी पॉलिसी की ज़िम्मेदारी संभालना था.
साल 2020 में विजया गडे उस समय सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के समय ट्विटर पर राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगा दी थी.
इसके अलावा गडे ने ही कथित तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बेटे हंटर बाइडन के लैपटॉप से बरामद हुई कुछ फाइलों के आधार पर लिखी गई न्यूयॉर्क पोस्ट की ख़बर को ट्विटर पर शेयर होने से रोका था. उस समय न्यूयॉर्क पोस्ट का ट्विटर हैंडल भी करीब दो सप्ताह के लिए निलंबित रहा था.
ट्विटर में सबसे अधिक वेतन पाने वाले अधिकारियों में से एक गडे का जाना लगभग तभी तय माना जा रहा था जबसे मस्क ने कंपनी को खरीदने की घोषणा की थी. (bbc.com/hindi)