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ऑडियो लीक: इमरान ख़ान की लोकप्रियता पर क्या कोई असर पड़ेगा
09-Oct-2022 1:28 PM
ऑडियो लीक: इमरान ख़ान की लोकप्रियता पर क्या कोई असर पड़ेगा

-सहर बलोच

हाल के दिनों में जब से एक के बाद एक कई ऑडियो लीक लोगों के सामने आए हैं, पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में तहलका मच चुका है.

प्रधानमंत्री आवास से लीक होने वाली इस ऑडियो बातचीत को हर राजनीतिक दल अपने मक़सद के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है.

शुक्रवार को एक अज्ञात स्रोत से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का कथित ऑडियो लीक सामने आया है. इसमें उन्हें अपने कैबिनेट के एक सदस्य से कथित तौर पर "हॉर्स ट्रेडिंग" के बारे में बात करते हुए सुना जा सकता है.

इससे पहले, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, मरियम नवाज़ और अन्य कैबिनेट सदस्यों के ऑडियो लीक होने के बाद, किसी तरह का कोई खंडन नहीं किया गया था. सूचना मंत्री मरियम औरंगज़ैब ने अपने बयान में कहा कि इससे यह साबित होता है कि कुछ भी ग़ैर क़ानूनी नहीं हुआ है.

इससे यह भी पता चलता है कि प्रधानमंत्री आवास में राजनेताओं की बातचीत ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से रिकॉर्ड होती रही है.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के सदस्य और पूर्व मंत्री फ़वाद चौधरी ने दावा किया था कि हैकर ने बातचीत की रिकॉर्डिंग डार्क वेब पर बेच दी है. लेकिन इमरान ख़ान के कथित नए ऑडियो लीक के बाद उनका कहना है कि "लोग जानते हैं कि यह ऑडियो कौन और कहाँ से लीक कर रहा है."

लेकिन शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का एक और ऑडियो लीक होने के बाद यह सिलसिला रुकता हुआ नज़र नहीं आ रहा है.

इन ऑडियो लीक के सामने आने के बाद इमरान ख़ान के "विदेशी साज़िश" वाले बयान को सत्ताधारी पार्टी मुस्लिम लीग नवाज़ की तरफ़ से ख़ारिज किया जा रहा है.

मुस्लिम लीग नवाज़ की ओर से यह भी कहा जा रहा है कि इमरान ख़ान ने जिन बातों को बुनियाद बनाकर धरने और रैलियां की हैं, वे सब "झूठ" पर आधारित हैं.

इस संबंध में पत्रकार और विश्लेषक अंबर रहीम शम्सी ने कहा कि इमरान ख़ान के नज़रिये को झटका लग रहा है.

"जो लोग इमरान ख़ान पर विश्वास करते हैं और उनके नज़रिये को मानते हैं और उनके समर्थक हैं, वे उन ऑडियो लीक में वही सुनेंगे जो इमरान ख़ान चाहते हैं."

उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान जो व्याख्या पेश करेंगे, वह (उनके समर्थक) उस पर ही विश्वास करेंगे. इसकी व्याख्या यह की जा रही है कि ऑडियो लीक से यह साबित होता है कि साइफ़र एक सच है और जो लोग इसे कोई साज़िश बता रहे थे वो ग़लत साबित हुए.

वो कहते हैं, "लेकिन अगर आप इसे ध्यान से सुनें तो इमरान ख़ान इसमें कहते हैं कि वह खेलेंगे, जब उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी आज़म ख़ान कहते हैं कि मिनट्स ऑफ़ मीटिंग पर हम अपनी मर्ज़ी की व्याख्या डाल सकते हैं, या अगर आप उनकी अपनी कैबिनेट के सदस्यों के साथ होने वाली बातचीत सुनें तो यह साबित होता है कि एक नज़रिया बनाना था क्योंकि उन्हें लग रहा था कि वह सत्ता से बाहर होने वाले हैं."

उन्होंने कहा कि इन दोनों ऑडियो लीक से कोई झटका नहीं लगेगा और यह उनकी सभाओं में ख़ास तौर से पंजाब में दिखाई दे रहा है, जहाँ लोग बड़ी संख्या में उनकी सभाओं में पहुँच रहे हैं और अब भी उनकी बातें सुन रहे हैं."

लेकिन वो लीग जिन्हें इस मामले में तटस्थ कहा जा सकता है, उनके दिमाग़ में हालिया ऑडियो लीक के बाद संदेह पैदा हो रहा है.

मसलन इमरान ख़ान ने यह साफ़ तौर पर कहा कि अमेरिका का नाम मत लेना, लेकिन फिर एक कार्यक्रम में उन्होंने लाइव प्रसारण के दौरान अमेरिका का नाम ले लिया. अपनी ही बात पर उन्हें हँसी भी आ गई कि उन्होंने अपनी कही हुई बात के ख़िलाफ़ बात कर दी.

इमरान ख़ान ने अमेरिका में अपनी छवि सुधारने के लिए एक फ़र्म का सहारा लिया है जबकि पाकिस्तान में अपने कई बयानों में वह अमेरिका की आलोचना करते रहे हैं और अमेरिका पर उनके ख़िलाफ़ राजनीतिक साज़िश रचने का भी आरोप लगाते रहे हैं.

उनके आलोचकों का मानना है कि इन परस्पर विरोधी बयानों का मतलब है कि वह चीज़ों को राजनीतिक रूप से घुमा कर पेश करते हैं. इसलिए वे उनके बयानों को राजनीतिक ही मानते हैं. लेकिन जो लोग इमरान ख़़ान के समर्थक हैं और उन्हें वोट देते हैं, वे उनकी कही हुई बातों को मानते आए हैं.

"इमरान ख़ान की बात की पुष्टि हो गई"
बीबीसी से बात करते हुए, पूर्व मंत्री और पीटीआई के सदस्य असद उमर ने कहा, "मुस्लिम लीग नवाज़ किस आधार पर इमरान ख़ान के बयान को ख़ारिज कर रही है? इन ऑडियो लीक से तो इमरान ख़ान के बयान की पुष्टि हुई है.''

उन्होंने कहा, "अगर प्रधानमंत्री आवास से पूर्व मंत्रियों की बातचीत की रिकॉर्डिंग ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से लीक हो रही है और वह रिकॉर्डिंग सार्वजनिक रूप से बाज़ार में उपलब्ध है तो यह सुरक्षा में भारी चूक है.''

उन्होंने कहा, "इसकी जांच होनी चाहिए कि इसे किसने रिकॉर्ड किया और कैसे लीक किया और इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है. यह पीटीआई और मुस्लिम लीग नवाज़ की समस्या नहीं है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है.''

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान ख़ान ने कभी इस बात पर चिंता नहीं जताई कि राजनीतिक मीटिंग्स प्रधानमंत्री आवास के अंदर बैठने की बजाय बाहर लॉन में की जाए.

"हाँ, अगर मौसम अच्छा है और बाहर बैठना उचित लग रहा हो, तो ऐसा किया गया है कि मीटिंग बाहर की गई, लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने ऐसा कोई संदेह ज़ाहिर नहीं किया है कि उन्हें मीटिंग की बातचीत सुने जाने का ख़तरा है."

क्या प्रधानमंत्री आवास से ऑडियो लीक होना आईएसआई और आईबी जैसी सुरक्षा एजेंसियों के बीच कोर्डिनेशन की कमी को ज़ाहिर करता है?

पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद ख़ाक़ान अब्बासी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "इस बात में कोर्डिनेशन की समस्या नहीं है बल्कि यह एक आपराधिक कृत्य है और ख़ास तौर से अगर यह घटना प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई है तो यह बहुत गंभीर मामला है.''

जनता की राय क्या है?
बीबीसी ने इस्लामाबाद में कई लोगों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि क्या अमेरिकी साज़िश से जुड़े ऑडियो लीक के बाद इमरान ख़ान की लोकप्रियता पर कोई असर पड़ा है. ज़्यादातर लोगों ने कहा कि इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.

प्राइमरी स्कूल की एक छात्रा ने कहा, "इस ऑडियो लीक से इमरान ख़ान पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वह हमेशा सच बोलते हैं और सच का साथ देते हैं.''

एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि इससे "उनकी लोकप्रियता और बढ़ेगी."

एक महिला का कहना था, कि उन्हें लगता है कि "यह (ऑडियो) उनकी लोकप्रियता को कम करने के लिए लीक किया गया है. वह कहती हैं कि यह अस्थायी तौर पर तो हो सकता है, लेकिन इमरान ख़ान पर इसका कोई स्थायी असर नहीं होगा. हो सकता है कि कुछ समय के लिए विपक्ष इन बातों का फ़ायदा उठाए, लेकिन उसके बाद वे फिर से लोकप्रिय हो जाएंगे.

जब जनता से यह पूछा गया कि ये रिकॉर्डिंग कौन करता है और इसे लीक कौन करता है, तो एक ब्यक्ति ने कहा, कि "देखिये, अलग-अलग तरीक़े होते हैं. आपका फ़ोन टेप किया जा सकता है, कमरों में माइक्रोफ़ोन लगाये जा सकते हैं."

जबकि एक महिला ने कहा, कि "ये उनके अपने ही करते हैं, और कोई नहीं कर सकता." एक दुकानदार ने कहा कि "ये लीक करने वाले अपने ही लोग होते हैं, कोई और तो इन जगहों पर जा ही नहीं सकता है."

एक अन्य व्यक्ति का कहना है कि "जब सुरक्षा के लिए तैनात कर्मियों को ही यह नहीं पता कि प्रधानमंत्री आवास से (रिकॉर्डिंग) कौन लीक कर रहा है, तो हम कैसे बता सकते हैं कि यह किसका काम है?" (bbc.com/hindi)


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