गरियाबंद

जातिसूचक प्रताडऩा से त्रस्त होकर बाबू ने की खुदकुशी
30-Oct-2024 2:34 PM
जातिसूचक प्रताडऩा से त्रस्त होकर बाबू ने की खुदकुशी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा-राजिम, 30 अक्टूबर। रायपुर के कलेक्टोरेट राजस्व शाखा में पदस्थ क्लर्क प्रदीप उपाध्याय ने 28 अक्टूबर को फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। आत्महत्या करने के पहले उन्होंने एक पत्र लिखा है जिसमें विभाग के तीन अफसरों तत्कालीन एडीएम गजेंद्र ठाकुर, वीरेंद्र बहादुर सिंह एवं तत्कालीन एसडीओ देवेंद्र पटेल के नाम का उल्लेख करते हुए इन तीनों के प्रताडऩा के वजह से वे आत्महत्या करने के लिए विवश हो गए। पत्र में उन्होंने अपनी मौत के लिए इन तीनों को जिम्मेदार बताया है। इस मामले को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में ब्राम्हण समाज में गहरी नाराजगी है तथा दुखी और उद्देलित भी।

मंगलवार को नवापारा ब्राम्हण समाज के लोग सुभाष चौक के पास इक_ा हुए और बाइक रैली के रूप में शहर का भ्रमण करते हुए तहसील कार्यालय पहुंचकर तहसीलदार को छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने समाज के वरिष्ठ प्रसन्न शर्मा,कै लाश शुक्ला,रमेश तिवारी,श्यामकिशोर शर्मा,विवेक मिश्रा,ललित पांडे,शिव तिवारी,प्रफुल्ल दुबे,अनंत पुराणिक, मनहरण शर्मा, सौरभ शर्मा,प्रणय दीवान,वासुदेव पांडे, कैलाश तिवारी, अंजय शर्मा, ज्ञानेश शर्मा, मनीष शर्मा, गुड्डु मिश्रा, अंकित शर्मा, कमल शर्मा, सुभाषिनी शर्मा, रेखा तिवारी, तनु मिश्रा, रश्मि तिवारी, पूनम दीवान, रूचि शर्मा सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल थे।  ब्राम्हण समाज ने अपने ज्ञापने में लिखा है कि 28 अक्टूबर को शासकीय कर्मचारी प्रदीप उपाध्याय ने अपने उच्चाधिकारियो के जातिसूचक प्रताडऩा से त्रस्त होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है इस घटना से संपूर्ण छत्तीसगढ़ का ब्राम्हण समाज दुखी एवं उद्देलित है।

मृतक प्रदीप उपाध्याय द्वारा अपने सुसाइट नोट में प्रताडि़त करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उचित कार्रवाई करने के लिए महामहिम राज्यपाल से निवेदन किया गया है। समाज के वरिष्ठ प्रसन्न शर्मा ने कहा है कि उंचे पदों में रहने वाले अफसरो से हमारी गुजारिश है कि अपने ओहदो का जरा ध्यान रखे और जातिसूचक शब्दो का इस्तेमाल करने से बचें। ऐसे अपने किसी मातहत को भविष्य में आत्महत्या करने के लिए मजबूर न करें।

जातिसूचक शब्द कितना पीड़ादायक होता है इसे वहीं समझ और जान सकता है जिनकी जाति के बारे में ऐसे शब्दो का इस्तेमाल होता है।


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