मनोरंजन
हिंदी फ़िल्मों के जाने-माने निर्माता-निर्देशक और गीतकार सावन कुमार टाक का गुरुवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे. वे 86 साल के थे.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के अनुसार सावन कुमार मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन गुरुवार को उनका निधन हो गया.
साजन बिना सुहागन, सौतन, प्यार की जीत, सौतन की बेटी, सनम बेवफा, बेवफा से वफा जैसी कई फ़िल्में उन्होंने निर्देशित की. उनकी पहली फ़िल्म ‘गोमती के किनारे’ थी, जो मीना कुमारी के करियर की आखि़री रिलीज़ हुई फ़िल्म भी थीं.
बताया जाता है कि बतौर निर्माता उन्होंने संजीव कुमार को पहली बार किसी फ़िल्म में मौक़ा दिया. संजीव कुमार को उनका फ़िल्मी नाम साजन कुमार टाक ने ही दिया था. उससे पहले वे हरिभाई जरीवाला के नाम से जाने जाते थे.
शानदार गीतकार भी थे सावन कुमार
निर्माता निर्देशक के अलावा वे बहुत अच्छे गीतकार भी थे.
‘तेरी गलियों में न रखेंगे क़दम...’, ‘शायद मेरी शादी का ख़याल...’, ‘जिंदगी प्यार का गीत है...’, ‘हम भूल गए रे तेरा प्यार...’, ‘बरखा रानी ज़रा जमके बरसो...’, ‘सासु तीरथ ससुरा तीरथ...’, ‘मुझे अल्लाह की कसम...’, चूड़ी मज़ा न देगी..’, ‘मेरी जान चली अनजानी डगर...’ जैसे कई मशहूर गीत सावन कुमार टाक की कलम से निकले थे.
बतौर गीतकार उनके बारे में एक दिलचस्प बात ये भी थी कि उनके अधिकांश गीतों में कहीं न कहीं एक बार ही सही लेकिन ‘सावन’ शब्द का इस्तेमाल होता था.
उन्होंने कई गीत अपनी पत्नी और मशहूर संगीतकार उषा खन्ना के लिए भी लिखे. उषा खन्ना हिंदी फ़िल्मों की कुछ चुनिंदा और अपने समय की सफल संगीतकारों में से एक थीं.(bbc.com/hindi)


