दुर्ग

कलिंगा संघम समाज का पारिवारिक मिलन समारोह
11-Nov-2025 10:48 PM
कलिंगा संघम समाज का पारिवारिक मिलन समारोह

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई, 11 नवंबर।
कलिंगा संघम् भिलाई नगर ने मैत्री वाग मरोदा में पारिवारिक मिलन समारे आयोजित किया। आंध्र मूल के किंतला कलिंगा जाति के भिलाई, दुर्ग, भिलाई-3, चरौदा एवं रायपुर साहित आस-पास के क्षेत्रों में निवासत है। उनके संगठित कर सन् 1975 में यह संगठन स्थापति किया गया। 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। आंध्र प्रदेश अनुसार कार्तिक मास में किसी वनादित अथवा घने पेड़ों की छांव में कार्तिक वनभोजनालु कहते हैं।
संगठन की स्थापना से ही यह आयोजन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।

परिवारों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष सीएच. लिंगेश्वर राव ने समाज गठन के 50 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई दी और कहा कि समाज के संस्थापितों जिन अपेक्षाओं के साथ संगठन स्थापित किया था, उन पर हम खरे उतरे हैं। उन्होंने समाज को संचालित करने के लिए जो नियम एवं निर्देश तय किये उसका निरंतर अनुशरण किया जा रहा है। उनमें समयानुसार आंशिक संशोधन भी किये गये हैं। उनको प्रेरणा मानकर निरंतर विकास किया जा रहा है।
 

महिलाओं और बच्चों के लिए विभिन्न खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की गई एवं विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कक्षा 10वीं, 12वीं तथा स्नातक, स्नातकोत्तर कक्षाओं विशेष उपलब्धि प्राप्त छात्र, छात्राओं को सम्मानित किया गया। खेल सम्मान 2025, वरिष्ठ सदस्य एस. पापाराव के सुपुत्र एस. मोहन राव को राष्ट्रीय नेटबॉल चैम्पियनशिप में द्वितीय स्थान प्राप्त करने एवं राष्ट्रीय स्तर के नेटबॉल कोच नियुक्त होने पर प्रदान किया।
सौभाग्यशाली दम्पत्ति जी. अनिल कुमार एवं धर्मपत्नि को घोषित किया गया । वरिष्ठ सदस्य सम्मान पी. चिन्नीकृष्णा तथा एल. रमनामूर्ति को प्रदान किया गया। छत्तीसगढ़ कलिंग महासंघम के अध्यक्ष ए. गौरीशंकर एवं कार्यवाहक अध्यक्ष एस. जगदीश सहित रायपुर एवं भिलाई-चरौदा संगठन के प्रतिनिधियों की विशेष उपस्थिति रही।

सम्पूर्ण कार्यक्रम में संचालन के. वेंकट रमनमूर्ति, पी. जर्नादन, ए. त्रिनाथ राव एवं पी. रामाराव ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में एस. सोमेश्वर राव, के. रामेश्वर राव, के. गणेश राव, पी. मोहन राव, पी. रामू, बी. चन्द्रशेखर, के. राधाकृष्णा, जी. बालराजू, बी. रामाराव, जी. अनिल कुमार राव, व्ही. हेमसुंदर राव, एन. वेंकट रमना, वाई. मोहन राव, एम. सचिन, एस. नागार्जुन, के. रवि, जी. बालकृष्णा, सीएच. वेणु गोपाल राव एवं समस्त महिलाओं का विशेष योगदान रहा।


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