‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
लखनपुर, 16 मार्च। सरगुजा जिले के लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों सहित स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी कमी है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में निवास करने वाले गरीब तपके के लोगों को शासन की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है।
शासन द्वारा स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न जन कल्याणकारी योजना चलाई जा रही है। लेकिन अस्पतालों में डॉक्टरों व उपकरणों सहित स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते मरीजों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। मजबूरन मरीजों को शासकीय अस्पताल के बजाए निजी अस्पतालों में उपचार कराना पड़ता है।
गौरतलब है कि लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 9 डॉक्टर का सेटअप है, परंतु वर्तमान में तीन डॉक्टर ही सेवा दे रहे हैं। इसके अलावा ड्रेसर, नेत्र रोग, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सहित अन्य पदों पर नियुक्ति की ओर शासन-प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
लैब में उपकरण और सामग्री उपलब्धता की कमी, बाहर जांच कराने मजबूर
लखनपुर विकासखंड के सुदूर अरुणाचल ग्राम ढोंडा केसरा निवासी विशेष आरक्षित जनजाति के बुधराम पिता क्षेरता (55 वर्ष) की अचानक तबीयत खराब होने पर एंबुलेंस 108 की सुविधा नहीं मिलने पर स्थानीय निवासी बिहारी लाल तिर्की ने अपने निजी वाहन से बुधराम को लखनपुर अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टर के द्वारा बाहर से टेस्ट करने बोला गया। जब विभिन्न प्रकार के टेस्ट निजी पैथोलॉजी लैब में 1500 रुपए का जांच कराया गया, किसी तरह बिल कम कराया गया।
मरीज को एंबुलेंस 108 की नहीं मिली सुविधा
लखनपुर क्षेत्र में मिले एंबुलेंस 108 वाहन की सेवा क्षेत्रवासियों को नहीं मिल पा रही है। अधिकतर देखा गया है कि लखनपुर एंबुलेंस 108 में मरीजों को जिला अस्पताल अंबिकापुर से रायपुर भेज दिया जाता है। जिससे क्षेत्र के लोगों को एंबुलेंस 108 की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
गरीब तपके के मरीजों को एंबुलेंस 108 की सुविधा नहीं मिल पाने पर निजी वाहन के माध्यम से रुपए खर्च करके लखनपुर अस्पताल लाने को परिजन मजबूर हो रहे हैं, जिससे कई प्रकार की परेशानियों का सामना मरीज के परिजनों को करना पड़ रहा है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से महिलाओं को परेशानी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं और महिला मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। महिला डॉक्टर नहीं होने से महिलाएं अपने आप को असहज महसूस करती हैं।
खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. ओ पी प्रसाद से इस संबंध में बात करने पर उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी से अस्पताल जूझ रहे हैं। इसकी जानकारी वरिष्ठ स्तर पर भेज दी गई है। क्षेत्र के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करने प्रयास किया जा रहा है।