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रायपुर, 16 अक्टूबर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि अपने आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) के माध्यम से 6 अक्टूबर से 11 अक्टूबर 2025 तक एआर/वीआर/एमआर: अंतर और इसके अनुप्रयोग क्षेत्र पर छह दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जिसे आईईईई एजुकेशन सोसाइटी मध्य प्रदेश चैप्टर के सहयोग से एआईसीटीई प्रशिक्षण और शिक्षण (अटल) अकादमी द्वारा प्रायोजित किया गया ।
विश्वविद्यालय ने बताया कि 6 अक्टूबर 2025 को आयोजित उद्घाटन सत्र में प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामय उपस्थिति रही। एफडीपी के कुलपति एवं संरक्षक डॉ. आर. श्रीधर और एफडीपी के कुलसचिव एवं संरक्षक डॉ. संदीप गांधी ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया और शिक्षा में इमर्सिव तकनीकों के भविष्य पर अपने गहन विचार साझा किए।
विश्वविद्यालय ने बताया कि डॉ. आर. श्रीधर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के महत्व पर ज़ोर देते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि संकाय सदस्यों को नियमित व्यावसायिक विकास के माध्यम से अपने कौशल को निरंतर उन्नत करना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि एनईपी 2020 के अनुसार, प्रत्येक संकाय सदस्य को तेज़ी से विकसित हो रहे शैक्षणिक और तकनीकी परिदृश्य से अवगत रहने के लिए प्रति वर्ष कम से कम दो एफडीपी में भाग लेना चाहिए।
विश्वविद्यालय ने बताया कि कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी ने एआर/वीआर/एमआर तकनीकों और महाभारत के बीच एक दिलचस्प समानता दर्शाते हुए बताया कि कैसे सदियों पहले दृश्यावलोकन और दूरस्थ बोध को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया जाता था।


