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रायपुर, 8 अक्टूबर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि महर्षि वाल्मीकि जयंती बड़े श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाई गई। इस कार्यक्रम का आयोजन आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, कलिंगा विश्वविद्यालय द्वारा दिल्ली सरकार के अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सहयोग से किया गया।
विश्वविद्यालय ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के आदि कवि और रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के जीवन, साहित्यिक योगदान और शिक्षाओं को स्मरण करना था। इसमें छात्रों और संकाय सदस्यों ने सस्वर पाठ, भाषण तथा सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से वाल्मीकिजी के जीवन दर्शन को प्रस्तुत किया।
डॉ. संदीप गांधी, कुलसचिव, कलिंगा विश्वविद्यालय ने अपने प्रेरक वक्तव्य में महर्षि वाल्मीकि के जीवन, तपस्या और उनके आध्यात्मिक रूपांतरण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जी का जीवन आत्मशुद्धि, ज्ञान और भक्ति की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने छात्रों को वाल्मीकि जी के आदर्शों-सत्य, करुणा और धर्मनिष्ठा को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनका वक्तव्य सभी प्रतिभागियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा।
डॉ. विजया लक्ष्मी बिरादर, निदेशक ने कार्यक्रम की समन्वयक के रूप में उत्कृष्ट नेतृत्व किया। उनके मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम योजनाबद्ध और सुचारू रूप से संपन्न हुआ। आयोजन टीम में डॉ. अनीता वर्मा, श्रीमती अपूर्वा शर्मा, श्री अभिषेक कुमार गुप्ता, श्री अश्वन साहू, श्री हेमंत साहू, श्री आदित्य वी. वर्मा, श्री पुष्पराज गेंद्रे, सुश्री कोडा आयुषी राव, सुश्री सिम्पी कुमारी, सुश्री शिवानी चिलिकुरी, वेदांत राज, श्री पीयूष श्रीवास्तव और प्रियांशु सिंह शामिल थे, जिनके सामूहिक प्रयासों ने कार्यक्रम को सफल बनाया।
कार्यक्रम के अंत में महर्षि वाल्मीकि के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित एक प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया।


