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रायपुर सेंट्रल जेल में कैदियों के मानवाधिकारों के संरक्षण पर एचएनएलयू की जागरूकता कार्यशाला
07-Oct-2025 2:53 PM
रायपुर सेंट्रल जेल में कैदियों के मानवाधिकारों के संरक्षण पर एचएनएलयू की जागरूकता कार्यशाला

रायपुर, 7 अक्टूबर। हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एच.एन.एल.यू.) ने बताया कि सेंट्रल जेल, रायपुर में कैदियों के मानवाधिकारों का संरक्षण विषय पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला का सफल आयोजन किया। यह पहल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डी.एल.एस.ए.), रायपुर के सहयोग से तथा भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के तत्वावधान में आयोजित की गई। यह आयोजन एच.एन.एल.यू. की समुदाय से जुड़ाव और न्याय तक पहुँच को सशक्त बनाने की सतत प्रतिबद्धता का हिस्सा है।

एचएनएलयू ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य कैदियों को उनके संवैधानिक अधिकारों और विधिक प्रावधानों के प्रति जागरूक करना था, जो भारतीय संविधान, कारागार अधिनियम, मॉडल प्रिजन मैनुअल, और हाल ही में लागू भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बी.एन.एस.एस.), 2023 में निहित हैं। एच.एन.एल.यू. प्रो बोनो क्लब के संकाय सदस्य एवं सहयोगियों ने, डी.एल.एस.ए. रायपुर के अधिकारियों के साथ मिलकर, विधिक सहायता, न्याय एवं पुनर्वास से संबंधित विषयों पर संवादात्मक सत्रों और चर्चाओं का संचालन किया।

एचएनएलयू ने बताया कि डॉ. पर्वेश राजपूत, संकाय समन्वयक, एच.एन.एल.यू. प्रो बोनो क्लब, ने विधिक साक्षरता को सशक्तिकरण और पुनर्वास का प्रभावी माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि माननीय कुलपति डॉ. (प्रो.) वी. सी. विवेकानंदन के मार्गदर्शन में स्थापित प्रो बोनो क्लब निरंतर ऐसी सामुदायिक पहलों के माध्यम से कानूनी शिक्षा और सामाजिक उत्तरदायित्व के बीच सेतु का कार्य कर रहा है।

एचएनएलयू ने बताया कि कार्यशाला के अंतर्गत एच.एन.एल.यू. प्रो बोनो क्लब के सहयोगियों ने सेंट्रल जेल परिसर में एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें कैदियों के संघर्षों, अधिकारों और भविष्य की आशाओं को सशक्त रूप से दर्शाया गया। इस नाटक ने यह संदेश दिया कि कारावास किसी व्यक्ति की यात्रा का अंत नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और सुधार का अवसर है।

 छात्रों ने अपने प्रभावशाली अभिनय एवं संवादों के माध्यम से यह दर्शाया कि रिहाई के बाद समाज में पुन: समायोजन, परिवार एवं समुदाय का सहयोग, तथा विधिक अधिकारों की जानकारी कैदियों को मानवीय एवं सम्मानजनक जीवन की दिशा में कैसे सक्षम बनाती है।

 

 

यह प्रस्तुति कैदियों और अधिकारियों दोनों के मन में गहरा भावनात्मक प्रभाव छोड़ गई और उन्हें विचारोत्तेजक विमर्श की ओर प्रेरित किया। यह कार्यक्रम डॉ. पर्वेश राजपूत (संकाय समन्वयक) के निर्देशन में आयोजित किया गया, जिसमें क्लब के सहयोगियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

 

यह कार्यशाला सार्थक संवाद, विधिक जागरूकता और सुधारात्मक दृष्टिकोण से परिपूर्ण रही। इस अवसर ने एच.एन.एल.यू. के उस मिशन को पुन: पुष्ट किया जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय सामाजिक रूप से जागरूक विधि पेशेवरों का निर्माण कर न्याय की पहुँच को समाज के प्रत्येक वर्ग तक—यहाँ तक कि जेल की दीवारों के पार भी—विस्तारित करने हेतु प्रतिबद्ध है।


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