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रायपुर, 21 सितंबर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि शिक्षा संकाय द्वारा आयोजित छत्तीसगढ़ 2047- स्थिरता, समावेश, नवाचार और भारतीय ज्ञान प्रणालियों के माध्यम से शिक्षा में परिवर्तन विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत और विदेश के प्रख्यात विद्वान, नीति निर्माता और शिक्षक एक साथ आए, जिसमें मोरक्को, केन्या, जर्मनी और कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, मेघालय, हैदराबाद, लखनऊ और छत्तीसगढ़ सहित कई भारतीय राज्यों के प्रतिष्ठित वक्ता शामिल हुए।
विश्वविद्यालय ने बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रोफेसर प्रदीप मिश्रा, निदेशक- उच्च शिक्षा नीति अनुसंधान केंद्र (सीपीआरएचई), राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रशासन संस्थान (एनआईईपीए), शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली और कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति, महानिदेशक, कुलसचिव, डीन अकादमिक मामले और निदेशक आईक्यूएसी की गरिमामय उपस्थिति में किया गया।
विश्वविद्यालय ने बताया कि 200 से अधिक प्रतिभागियों और 150 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुतियों ने अकादमिक विचार-विमर्श को समृद्ध किया। कार्यवाही को आईएसबीएन के साथ प्रकाशित किया जाएगा, तथा चयनित शोधपत्र यूजीसी केयर/स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिकाओं और एक संपादित अंतर्राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित किए जाएंगे।
विश्वविद्यालय ने बताया कि शिक्षा संकाय ने अधिष्ठाता एवं संयोजक डॉ. श्रद्धा वर्मा के नेतृत्व में सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सभी सहयोगियों, प्रतिभागियों और शुभचिंतकों के प्रति आभार व्यक्त किया। सम्मेलन की सफलता आयोजन समिति के सदस्य- डॉ. कालीदास, डॉ. हर्षा पाटिल, डॉ. संजीव यादव, डॉ. लुभावनी त्रिपाठी, डॉ. हर्षा शर्मा, श्री प्रीतम पटेल और श्री दुष्यंत यादव के समर्पित प्रयासों और सह-संयोजक डॉ. सरोज नैयर के मार्गदर्शन से संभव हुई। विद्यार्थियों- श्री मुरलीधर, श्री ओंकार, सुश्री स्नेहा, सुश्री सोनिया, सुश्री आलिया, सुश्री योगिता, सुश्री खिलेश्वरी, सुश्री अंजलि एवं अन्य।


