कारोबार

बालकोनगर, 10 मार्च। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने बताया कि महिला कर्मचारियों के योगदान और उपलब्धियों का सम्मान करता है। कंपनी महिलाओं की शक्ति, संघर्ष और सफलता को को पहचानते हुए निरंतर उन्हें अपने कार्यबल में शामिल किया है। कंपनी ने महिलाओं को समान अवसर, सम्मान और सुरक्षा देने का प्रयास किया है।
बालको ने बताया कि महिला कर्मचारियों ने अपने कौशल के माध्यम से बालको के उत्तरोत्तर प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंपनी से जुड़ी महिला कर्मचारियों की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है।सोनाली प्रियदर्शिनी, माइनिंग इंजीनियर, वेदांता बालको की यात्रा, दृढ़ता और परिवार के अटूट समर्थन की यात्रा है। सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, क्योंझर, उड़ीसा के खनन इंजीनियरिंग विभाग में पहली महिला छात्राओं के समूह का हिस्सा बनीं।
बालको ने बताया कि इस क्षेत्र में बढ़ाया कदम व्यक्तिगत उपलब्धियों के साथ अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणादायी बना। आज वो वेदांता बालको में एक गौरवशाली खनन इंजीनियर के रूप कार्यरत हैं। उनकी कहानी बाधाओं को तोडऩे और एक ऐसे उद्योग में एक अनूठा रास्ता बनाने की है जहाँ महिलाओं का अक्सर कम प्रतिनिधित्व होता है। करियर में आगे बढ़ते हुए उन्होंने एक बेहतर भविष्य के साथ ही अगली पीढ़ी की लड़कियों को प्रेरित भी किया है।
बालको ने बताया कि बालको प्लांट में प्रवेश करते ही प्रवेश द्वार पर मिलती हैं शांत, आत्मविश्वास और शालीनता की पहचान सुरक्षा गार्ड *सुमन बंजारे*। छत्तीसगढ़ी परिवार में एक लडक़े के रूप में जन्मी, उन्हें हमेशा लगता था कि उनके अंदर कुछ ऐसा है जो आस-पास की दुनिया से मेल नहीं खाता। वह जानती थी कि वह बाकियों से अलग एक ट्रांस महिला हैं। दोस्त से मिली जानकारी पर उन्हें बालको में नौकरी के लिए साक्षात्कार दिया और चयन हो गया जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
बालको ने बताया कि अगस्त 2024 में बालको की लिंग परिवर्तन/पुन: निर्धारण सर्जरी नीति के मदद से सुमन ने सर्जरी करवाई। यह एक परिवर्तनकारी क्षण था, पहली बार सुमन को लगा कि वह वास्तव में वही है जो वह है। आत्म-खोज की उसकी यात्रा पूरी हो गई थी। सुमन की कहानी यहीं नहीं रुकी, 2 फरवरी, 2025 को उसकी शादी हो गई। आज, वो बालको में जी4एस के तहत सुरक्षा प्रभारी के रूप में काम करती हैं, जो कंपनी के लिए एक व्यावसायिक भागीदार है।
बालको ने बताया कि महिला ड्राइवर *सावित्री चौहान* की यात्रा बेहद कठिनाई के साथ शुरू हुई। उनकी दुनिया तब बिखर गई जब 7 साल की उम्र में अपने एकमात्र अभिभावक दादी को भी खो दिया। परिवार के समर्थन के बिना बड़े होने की चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन एक संघर्ष बन गया। उन्होंने राजपूत ट्रैवल्स के बारे में सुना, जिन्हें महिला ड्राइवरों की तलाश थी। आज, सावित्री बालको के लिए प्लांट के अंदर और बाहर दोनों जगह चार पहिया वाहन चलाती हैं।