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रायपुर, 7 मार्च। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि विधि संकाय द्वारा भारतीय राष्ट्रीय बार एसोसिएशन (आईएनबीए), नई दिल्ली के सहयोग से यौन उत्पीडऩ रोकथाम अधिनियम, 2013 पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण प्रमाणन पाठ्यक्रम, सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। यह एक व्यापक और विशिष्ट ऑनलाइन प्रमाणन कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ को रोकने के कानूनी और व्यावहारिक पहलुओं के बारे में प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करना था।
विश्वविद्यालय ने बताया कि प्रत्येक शनिवार और रविवार को एक महीने तक चलने वाला यह कार्यक्रम जनवरी 2025 में शुरू हुआ और फरवरी 2025 में संपन्न हुआ यह कार्यक्रम प्लेटफॉर्म के माध्यम से आयोजित किया गया और इसमें उद्योग पेशेवरों, मानव संसाधन विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और कॉर्पोरेट प्रतिनिधियों सहित भारत भर के विभिन्न क्षेत्रों के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस बड़े और विविधतापूर्ण समूह ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ के विरुद्ध लडऩे/रोकथाम करने/समाधान करने के लिए व्यापक रुचि और प्रतिबद्धता को दर्शाया।
विश्वविद्यालय ने बताया कि इस कोर्स का प्रमुख उद्देश्य प्रतिभागियों को एक्ट, 2013 के तहत कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ को रोकने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करना था तथा प्रतिभागियों को कानून के प्रमुख पहलुओं से अवगत कराना था। जिनमें नियोक्ता की जिम्मेदारी, आंतरिक शिकायत समिति की स्थापना और कार्य, और उत्पीडऩ को रोकने के लिए संवाद रणनीतियों का कार्यान्वयन शामिल था।
विश्वविद्यालय ने बताया कि इस कोर्स में विभिन्न विशेषज्ञों ने कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति यौन उत्पीडऩ की रोकथाम पर विस्तृत जानकारी दी। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता श्रीमती विनाक्षी कादन सिंह ने क्कह्रस्॥ अधिनियम के तहत कानूनी अधिकारों और जिम्मेदारियों पर चर्चा की और कार्यस्थल पर समानता को बढ़ावा देने पर जोर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट की अधिवक्ता श्रीमती नीतिका बजाज ने यौन उत्पीडऩ के विभिन्न रूपों, जैसे शारीरिक, मौखिक और अप्रत्यक्ष व्यवहारों, पर ध्यान केंद्रित किया।