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शिवानी दीदी के प्रेरणादायी उद्बोधन ने दिल जीते
25-Jul-2023 3:06 PM
 शिवानी दीदी के प्रेरणादायी उद्बोधन ने दिल जीते

दिन की शुरूआत करें सकारात्मक विचारों से

रायपुर, 25 जुलाई। जीवन प्रबन्धन विशेषज्ञा एवं मोटिवेशनल स्पीकर ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने कहा हमारा सोचना, बोलना और करना समान होना चाहिए तभी हमारे विचारों की तरंगें अच्छी होंगी। इसलिए सदैव अच्छा सोचें, सबके कल्याण का सोचें, सभी को दुआएं देंं। क्योंकि जो हम संकल्प करते हैं वह तरंगित होकर प्रकम्पन (वायब्रेशन) के रूप में दूसरों तक पहुंचते हैं। पुरानी बातों को क्षमा करें और भूल जाएं। उसे गांठ बांधकर न रखें।

ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने अच्छी सोच बेहतर जिन्दगी विषय पर बोलते हुए कहा कि हमें अपने दिन की शुरूआत सकारात्मक विचारों के साथ राजयोग मेडिटेशन से करना चाहिए। निज स्वरूप की याद से हमारी सोच अच्छी बनेगी। उन्होंने बतलाया कि हमारी स्क्रीन को देखने की आदत बन गई है।

हम सारा दिन मोबाईल और टेलीविजन की स्क्रीन को देखते हैं जिससे हमारी आंखों पर बुरा असर पड़ता है। यह भी एक तरह का नशा बन गया है जो कि हमारी आदत में शामिल हो चुका है। इसे बदलने की जरूरत है। हम अपने संस्कार को बदलकर दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं। इसे लीडरशीप क्वालिटी कहते हैं।

उन्होंने कहा कि हम अपना निरीक्षण करने की बजाए दूसरों को देखने लगते हैं और उनकी गल्तियाँनिकालने लगते हैं। इसलिए हमें अपने ऐसे बुरे संस्कारों को बदलने की जरूरत है। संस्कार कैसे बनता है यह प्रोग्रामिंग ज्ञात होने पर संस्कार बदलना आसान हो जाएगा। उन्होंने बतलाया कि आत्मा तीन कार्य करती है। 

मन, बुद्घि और संस्कार इसकी तीन शक्तियाँ हैं। मन का कार्य है विचार करना। उन विचारों में से बुद्घि निर्णय करती है कि कौन सा उचित है और कौन सा अनुचित? जैसे आज बरसात होने पर सभी के मन में विचार चला होगा कि कार्यक्रम में जाएं या न जाएं? 

ऐसे मौसम में भी आप लोग इतनी अधिक संख्या में आए यह प्रशंसनीय है। किसी काम को बार-बार करने से वह हमारे संस्कार बन जाते हैं। हम अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर अपने संस्कार को भी बदल सकते हैं। इस अवसर पर क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि जीवन का सारा खेल हमारी सोच पर आधारित है। 
 


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