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खेल-खेल में बच्चे आध्यात्मिकता के रंग में रंग रहे
04-May-2023 2:54 PM
खेल-खेल में बच्चे आध्यात्मिकता के रंग में रंग रहे

रायपुर, 4 मई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित समर कैम्प के दूसरे दिन अन्र्तजगत की यात्रा विषय पर बोलते हुए ब्रह्मïाकुमारी रूचिका दीदी ने कहा कि यदि हम अपने जीवन में आगे बढऩा चाहते हैं तो यह जानना निहायत जरूरी है कि मैं कौन हूॅं?

उन्होंने बतलाया कि इस दुनिया में जितने भी जड़ पदार्थ हैं, वह स्वयं अपने ही उपयोग के लिए नही बने हैं। सभी जड़ पदार्थों का उपभोग करने वाला उससे भिन्न कोई चैतन्य प्राणी होता है। हमारा यह शरीर भी जड़ पदार्थों से बना पांच तत्वों का पुतला है तो जरूर इसका उपयोग करने वाला इससे भिन्न कोई चैतन्य शक्ति होनी चाहिए।

ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने आगे कहा कि जब हम कहते हैं कि मुझे शान्ति चाहिए? तो यह कौन है जो कहता है कि मुझे शान्ति चाहिए? शरीर शान्ति नही चाहता। आत्मा कहती है कि मुझे शान्ति चाहिए। उन्होने आगे कहा कि आत्मा एक चैतन्य शक्ति है। शक्ति को स्थूल नेत्रों से देखा नही जा सकता लेकिन मन और बुद्घि से उसका अनुभव किया जाता है। जैसे बिजली एक शक्ति है, वह दिखाई नही देती किन्तु बल्ब जल रहा है, पंखा चल रहा है, तो हम कहेंगे किबिजली है।


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