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रायपुर, 23 अक्टूबर। आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के परम तपस्वी रत्न, प्रथामानियोग के कुशल ज्ञाता, मौन साधनारत् मुनिश्री 108 अनुत्तर सागर जी महाराज चातुर्मास के काल में मात्र 14 दिन आहार लेकर कर रहे कठिन तपस्या। आप आचार वर्धन व्रत की साधना कर रहे हैं।
जिसमें 100 उपवास किए जाते हैं। आपके द्वारा अभी तक के जीवन काल में 1350 निर्जल उपवास किए जा चुके हैं। आपका तीन रसों का आजीवन त्याग है। आप 9 राज्यों में 26000 कि.मी. की पद यात्रा कर चुके हैं। आपने अब तक 76 पंचकल्याणकों में सानिध्य प्रदान किया है।
आप सिंह निष्क्रीडि़त व्रत की साधना सहित चौसठ ऋद्धि के 64 उपवास, तप शुद्धि के 78 सुख कारण के 45, नवकार के 35 उपवास सहित कई व्रत विधिपूर्वक पूर्ण कर चुके हैं। आपका अभी 1011 दिन का मौन चल रहा है तथा सहस्त्र नाम व्रत के 1008 उपवास चल रहे हैं। आपके द्वारा 2020 में 216 उपवास, 2021 में 220 उपवास एवं 2022 में 260 उपवास करने का लक्ष्य है, जो पूर्णता की ओर है।
आप भोपाल नगर गौरव हैं, आप के अनुज प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र.अविनाश भैया समाज को अपना योगदान दे रहे हैं। आपके पूज्य पिता श्री सिंघई जमना प्रसाद जी की समाधि 17.11.2019 को परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में इन्दौर में हुई थी।
आपकी बहनें सुषमा-संतोष जैन (भोपाल) एवं सुनीता-कमल जैन (भोपाल) जो भगवान के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके हैं। शरद पूर्णिमा पर आपके परिवार का स्वागत भोपाल में विराजमान मुनिश्री विमल सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में रवीन्द्र भवन में गुरू वंदना महोत्सव समिति द्वारा किया गया।
मुनिश्री के त्याग-तपस्या के बारें में नरेन्द्र वंदना, रवीन्द्र पत्रकार ने अपने विचार रखें तथा कहा कि भोपाल धन्य है, लोग आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की जन्मभूमि सदलगा जाते हैं, लेकिन हमारा सौभाग्य है कि हम मुनिश्री की जन्मभूमि में रहते हैं। महा पारणा 30 अक्टूबर 2022 को सम्पन्न होगा जिसके साथ आचार वर्धन व्रत की साधना पूर्ण होगी, जिसमें सैकड़ों लोग पधारेंगे।


