बीजापुर
जवान की शिकायत की जाएगी दूर-एसपी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 10 दिसंबर। नक्सलियों से लोहा लेते हुए बम धमाके को झेलने वाला जवान अब अपने ही विभाग की उदासीनता को झेल रहा है। मौत के मुंह से बचकर आये जवान का 13 साल बाद भी विभाग ने कोई सुध नहीं ली है।
यहां एसपी ऑफिस के सामने लोहा डोंगरी में बैठकर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे जिले के सहायक आरक्षकों में मिरतुर थाना से यहां आंदोलन में शामिल होने आये सहायक आरक्षक सुखराम माड़वी का दर्द मीडिया के सामने छलक पड़ा। उसने पत्रकारों को बताया कि कैसे विभाग ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किया है।
सुखराम की माने तो वर्ष 2006 में उनकी नौकरी लगने लगी। वर्ष 2007 के फरवरी माह में उनके साथ भैरमगढ़ में एक घटना घटित हो गई थी। नक्सलियों ने बम ब्लास्ट कर दिया था, जिसमें सुखराम को कमर में गहरी चोट लगी थी। फिर उनके साथ दूसरी घटना वर्ष 2018 में तुमला में हुई। इसमें भी नक्सलियों ने बम ब्लास्ट किया था। सहायक आरक्षक सुखराम दोनों बार बम धमाकों को झेलकर बच तो गया, लेकिन आज 13 साल बाद भी वह विभागीय उदासीनता झेलने को मजबूर है। विभाग ने उसे अब तक न तो प्रमोशन दिया और न ही कोई मुआवजा। घटना के बाद उन्हें पांच हजार रुपये जो दी गई थी, उसे भी बाद में अग्रिम राशि बताकर वेतन से काट लिया गया।
सुखराम ने बताया कि उस घटना में बचने के बाद जो लाभ उन्हें मिलना चाहिए था, वह उन्हें न देकर अन्य जवान को दे दिया गया। सुखराम का आरोप है कि विभाग ने उनके साथ भेदभाव किया है।
इधर एसपी कमलोचन कश्यप ने इस विषय में कहा कि ये काफी पुराना मामला है। इसका परीक्षण करवाया जाएगा और सुखराम की शिकायत दूर की जाएगी।


