बेमेतरा

डीएपी खाद की कमी से किसान हो रहे परेशान
03-Jul-2025 4:18 PM
डीएपी खाद की कमी से किसान हो रहे परेशान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 3 जुलाई। जिले के सहकारी समितियों में किसानों को प्रति एकड़ 25 किलोग्राम के अनुमान से डीएपी थमाई जा रही है। किसानों को पूर्व में प्रति एकड़ 50 किलो यानी एक बोरी डीएपी दी जा रही थी। इस बार आपूर्ति कम होने की वजह से समितियों में किसानों को आधी बोरी डीएपी थमाई जा रही है। वहीं खुले बाजार में डीएपी लादन के साथ किसानों को लेना पड़ रहा है।

खाद की किल्लत से किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं। कास्तकारी जिला में इस बार 2 लाख 5 हजार 370 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य तय हुआ है, जिसमें से 1 लाख 36 हजार 335 हेक्टेयर में बोनी का काम हो चुका है।

जानकारी हो कि जिले में जारी फसल सीजन के दौरान 5667 टन डीएपी खाद का वितरण करने का लक्ष्य तय किया गया था। जिले में पुराना स्टॉक मिलाकर समितियों के पास 5288 टन डीएपी का वितरण किया जा चुका है। समितियों के पास अभी केवल 443 टन डीएपी ही उपलब्ध है। जिले में 2 लाख 5 हजार 370 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य तय हुआ है, जिसमें से 66 फीसदी रकबे में कास्तकारी शुरू हो चुकी है।

तारीख पर तारीख दी जा रही, राहत नहीं मिल रही

खाती की समिति में बीते रविवार से 25 टन डीएपी की सप्लाई हो चुकी थी, जिसके बाद सोमवार से ग्राम खाती के अलावा आसपास के गांव के किसान खाद लेने पहुंचते रहे। समिति में आने वाले किसानों को दो दिन तक तारीख दी गई। वहीं केवल 25 किलो प्रति एकड़ के मान से देने की घोसणा किए जाने के बाद किसानों ने विरोध दर्ज कराया तब जाकर केवल खाती समिति में किसानों को पुराने मान से खाद दिया गया।

 

डीएपी के विकल्प पर ध्यान देने की जरूरत

उपसंचालक कृषि एमडी डरसेना के अनुसार मानसून के आने के बाद किसान यूरिया के साथ डीएपी की भी डिमांड करते हैं। बाजार में डीएपी की कमी है, जिसे देखते हुए किसानों को एसएसपी खाद का उपयोग करना चाहिए, जिससे मिट्टी में भी सुधार आएगा। कास्तकारी जिले में खाद की किल्लत को लेकर कांग्रेस ने पहले से ही मोर्चा खोल दिया है। समितियों में पहुंचकर किसान प्रदर्शन भी कर रहे हैं। शिवसेना यूबीटी ने सीएम से खाद की कमी को दूर करने की मांग की।

बजार में 2000 बोरी, उसमें लादन का खर्च भी जुड़ा हुआ

प्रभावित किसानों ने बताया कि समितियों के पास पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं है पर बाजार में आपूर्ति जारी है। कई विक्रेता बगैर परमिशन के गोदाम का निर्माण कर खाद स्टोर कर रहे हैं। वहीं बाजार में किसानों को 2000 रुपए प्रति 50 किलो में खरीदना पड़ रहा है, जिसमे लादन यानी एक उत्पाद अतिरिक्त लेना पड़ रहा है। किसान विनोद साहू ने बताया कि समितियों में 1350 रुपए के दाम पर खाद मिल जाता है। लक्ष्मण कुमार ने बताया कि डीएपी की कमी की वजह से किसानों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।


अन्य पोस्ट